कब है अष्टमी ? कैसे होगी कन्या पूजा ? जाने मुहूर्त , पूजा विधि और नवमी मुहूर्त

कब है अष्टमी ? जाने पूजा विधि
चैत्र नवरात्रि 2025 की अष्टमी तिथि 5 अप्रैल को है। पंचांग के अनुसार, अष्टमी तिथि 4 अप्रैल को रात 8:12 बजे शुरू होकर 5 अप्रैल को शाम 7:26 बजे समाप्त होगी। उदयातिथि के अनुसार, दुर्गाष्टमी 5 अप्रैल 2025, शनिवार को मनाई जाएगी
दुर्गाष्टमी के दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन पूजा करने से घर में सुख-शांति आती है और परिवार के सदस्यों के बीच प्रेम बढ़ता है। मां महागौरी की आराधना से आरोग्य की प्राप्ति होती है और देवी अपने भक्तों में शक्ति और सकारात्मकता का संचार करती हैं
अष्टमी पूजा विधि:
1. स्नान और संकल्प: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद पूजा का संकल्प लें।
2. मां महागौरी की स्थापना: पूजा स्थल को साफ करके मां महागौरी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
3. सामग्री अर्पण: मां को सफेद फूल, अक्षत (चावल), कुमकुम, सिंदूर, चंदन, धूप, दीप आदि अर्पित करें।
4. भोग: मां को नारियल, मिठाई, पंचमेवा, हलवा-पूरी आदि का भोग लगाएं।
5. मंत्र जाप और पाठ: मां महागौरी के मंत्रों का जाप करें और दुर्गा सप्तशती या दुर्गा चालीसा का पाठ करें।
6. आरती: कपूर और घी का दीपक जलाकर मां की आरती करें।
7. कन्या पूजन: नौ कन्याओं को आमंत्रित करके उन्हें भोजन कराएं, उनके चरण धोएं और उन्हें उपहार दें।
8. हवन: यदि संभव हो तो हवन करें और उसमें देवी के मंत्रों का उच्चारण करें।
इस प्रकार, विधि-विधान से मां महागौरी की पूजा करने से देवी की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
जानें कन्या पूजन का मुहूर्त और पूजन विधि
चैत्र नवरात्रि 2025 में कन्या पूजन का विशेष महत्व है। इस वर्ष अष्टमी तिथि 4 अप्रैल की रात 8:12 बजे से 5 अप्रैल की शाम 7:26 बजे तक है, और नवमी तिथि 5 अप्रैल की शाम 7:28 बजे से 6 अप्रैल की शाम 7:24 बजे तक रहेगी
कन्या पूजन के शुभ मुहूर्त:
- महाष्टमी (5 अप्रैल 2025):
- सुबह 7:40 बजे से 9:15 बजे तक शुभ चौघड़िया में कन्या पूजन करना अत्यंत शुभ है।
- यदि इस समय में संभव न हो, तो दोपहर 1:58 बजे से 3:32 बजे तक लाभ चौघड़िया में भी पूजन किया जा सकता है。
- महानवमी (6 अप्रैल 2025):
- सुबह 7:40 बजे से 9:14 बजे तक लाभ चौघड़िया में कन्या पूजन करें।
- इसके अलावा, सुबह 10:49 बजे से 12:23 बजे तक अमृत चौघड़िया में भी पूजन करना शुभ माना जाता है
कन्या पूजन की विधि:
1. कन्याओं का आमंत्रण: 2 से 10 वर्ष की आयु की नौ कन्याओं और एक बालक (बटुक) को आमंत्रित करें, जिन्हें क्रमशः देवी दुर्गा और भगवान भैरव का स्वरूप माना जाता है।
2. स्वागत और पूजन: कन्याओं के आगमन पर उनके चरण धोकर, माथे पर तिलक लगाएं और उन्हें आसन पर बैठाएं।
3. भोजन और भेंट: कन्याओं को हलवा, पूड़ी, चना आदि का भोग लगाएं और भोजन के पश्चात उन्हें उपहार एवं दक्षिणा देकर विदा करें।
कन्या पूजन से मां दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है और घर में सुख-समृद्धि आती है। यदि आपके परिवार में अष्टमी या नवमी में से किसी एक दिन कन्या पूजन की परंपरा है, तो उसी के अनुसार पूजन करें।