आप भी चलाते हैं 18-20 डिग्री पर AC, तो सेहत को हो रहा है नुकसान; जानें क्या है एसी का सही तापमान
18-20 डिग्री पर एसी चलाने से सेहत को हो सकता है नुकसान। जानें विशेषज्ञों की राय और सही एसी तापमान क्या होना चाहिए।

गर्मियों में जैसे-जैसे तापमान बढ़ता है, वैसे ही घर, ऑफिस और दुकानों में एसी (AC) का इस्तेमाल भी तेजी से बढ़ने लगता है। बहुत से लोग ठंडी हवा की लालसा में एसी को 18-20 डिग्री सेल्सियस पर चला देते हैं, ताकि जल्दी राहत मिल सके। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह आदत आपकी सेहत के लिए खतरनाक हो सकती है? इतना कम तापमान न केवल स्वास्थ्य पर असर डालता है, बल्कि बिजली की खपत को भी बढ़ा देता है।
इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि एसी का आदर्श तापमान क्या होना चाहिए, 18-20 डिग्री पर एसी चलाने से शरीर पर क्या असर होता है, और किस तरह से आप सही तापमान सेट कर स्वास्थ्य और बिजली दोनों की बचत कर सकते हैं।
एसी को 18-20 डिग्री पर चलाने का ट्रेंड क्यों?
गर्मियों में जब बाहर का तापमान 40-45 डिग्री तक पहुंचता है, तो लोग एसी को ज्यादा ठंडा यानी 18-20 डिग्री तक सेट कर देते हैं। उन्हें लगता है कि इससे जल्दी ठंडक मिलेगी और आराम मिलेगा। कुछ लोग यह भी सोचते हैं कि कमरे में लोग अधिक हैं तो ज्यादा ठंडा करना जरूरी है।
लेकिन यह सोच पूरी तरह से सही नहीं है। 18-20 डिग्री की सेटिंग शरीर के लिए बहुत कम तापमान है, खासकर जब आप बाहर से आते हैं और शरीर गर्म होता है।
सेहत पर पड़ने वाले बुरे असर
1. सांस से जुड़ी समस्याएं
बहुत ठंडी हवा सांस की नली को प्रभावित कर सकती है। इससे खांसी, जुकाम, नाक बंद होना और यहां तक कि अस्थमा जैसी तकलीफें भी हो सकती हैं।
2. जोड़ों का दर्द और मांसपेशियों में जकड़न
18-20 डिग्री तापमान पर देर तक रहने से शरीर में अकड़न, कमर दर्द और मांसपेशियों में खिंचाव जैसी समस्याएं हो सकती हैं, खासकर बुजुर्गों और बच्चों में।
3. त्वचा पर असर
कम तापमान वाली हवा त्वचा से नमी खींच लेती है, जिससे स्किन ड्राय हो जाती है और खुजली जैसी समस्याएं बढ़ जाती हैं।
4. इम्यूनिटी में गिरावट
बार-बार तापमान में बदलाव (जैसे बाहर गर्मी और अंदर बहुत ठंडक) से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली पर असर पड़ता है, जिससे बीमार पड़ने की संभावना बढ़ जाती है।
एसी का आदर्श तापमान क्या है?
भारत में ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिशिएंसी (BEE) और विशेषज्ञों की राय के अनुसार, 24-26 डिग्री सेल्सियस पर एसी चलाना सबसे उपयुक्त और सेहतमंद माना गया है। यह तापमान शरीर के लिए न तो बहुत ज्यादा ठंडा होता है और न ही बहुत गर्म।
24-26 डिग्री क्यों है सही?
- शरीर का सामान्य तापमान 36-37 डिग्री सेल्सियस होता है। ऐसे में 24-26 डिग्री एसी सेटिंग शरीर को आराम देती है।
- इस तापमान पर एसी को ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती, जिससे बिजली की भी बचत होती है।
बिजली की खपत और बिल पर असर
18 डिग्री पर एसी चलाने से कंप्रेसर को लगातार काम करना पड़ता है, जिससे बिजली खपत बहुत ज्यादा होती है। जबकि 24-26 डिग्री पर एसी स्मार्टली काम करता है, जिससे:
- 30-40% तक बिजली की बचत हो सकती है
- एसी की लाइफ बढ़ती है
- ओवरलोडिंग नहीं होती
बच्चों और बुजुर्गों को ज्यादा खतरा
छोटे बच्चों और बुजुर्गों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। ऐसे में जब वे लंबे समय तक बहुत ठंडी हवा में रहते हैं, तो उन्हें निमोनिया, जोड़ों का दर्द और सर्दी-जुकाम जैसी समस्याएं हो सकती हैं। यदि आपके घर में ऐसे लोग हैं, तो 24-26 डिग्री पर ही एसी चलाना चाहिए।
गलतफहमियों से बाहर आएं
मिथक: "जितना ठंडा, उतना बेहतर"
हकीकत: ज्यादा ठंडा तापमान असुविधाजनक और हानिकारक हो सकता है।
मिथक: "ठंडा रखने से एसी जल्दी बंद हो जाएगा"
हकीकत: ज्यादा ठंडे तापमान पर एसी को कंप्रेसर अधिक समय तक चलाना पड़ता है।
और क्या करें?
- एसी के साथ फैन चलाएं, ताकि ठंडी हवा पूरे कमरे में फैले।
- कमरे को सील करें, ताकि बाहर की गर्म हवा अंदर न आए।
- समय-समय पर एसी की सर्विसिंग कराएं।
- रात में एसी का टाइमर सेट करें, ताकि वह ऑटोमेटिक बंद हो जाए।
हेल्दी एसी हैबिट्स अपनाएं
- सुबह या शाम कुछ समय के लिए खिड़कियां खोलें, ताकि ताजी हवा अंदर आ सके।
- बहुत देर तक एसी में न बैठें, बीच-बीच में बाहर निकलें।
- शरीर को हाइड्रेट रखें – पानी, नींबू पानी और नारियल पानी पीते रहें।
गर्मियों में एसी एक राहत देने वाला उपकरण है, लेकिन उसका इस्तेमाल समझदारी से करना जरूरी है। 18-20 डिग्री पर एसी चलाना जितना ठंडक देता है, उतना ही स्वास्थ्य और बिजली बिल पर भारी भी पड़ सकता है। अगर आप अपनी सेहत, जेब और पर्यावरण तीनों का ख्याल रखना चाहते हैं, तो 24-26 डिग्री पर एसी चलाना ही सबसे बेहतर विकल्प है।
डिस्क्लेमर:
यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से तैयार किया गया है। इसमें दी गई जानकारी किसी भी प्रकार की चिकित्सीय सलाह नहीं है। किसी भी स्वास्थ्य संबंधी निर्णय से पहले संबंधित विशेषज्ञ या चिकित्सक से परामर्श अवश्य लें।