बड़ा ही अद्भुत है ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग: रात में विश्राम करने आते हैं स्वयं महादेव
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग की महिमा जितनी प्राचीन है, उतनी ही रहस्यमयी भी। कहते हैं रात में स्वयं भगवान शिव विश्राम करने आते हैं यहां। जानिए इस चमत्कारी स्थल की कथा।

शिव की नगरी ओंकारेश्वर
भारत भूमि को तीर्थभूमि कहा जाता है, क्योंकि यहां हर पर्वत, नदी, झील, मंदिर और ज्योतिर्लिंग के साथ जुड़ी होती है कोई दिव्य कहानी। ऐसे ही 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग, जो नर्मदा नदी के बीचोंबीच स्थित मांडहाता द्वीप पर बना है।
यह केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि चमत्कार और रहस्य से भरा स्थान है। यहां यह मान्यता है कि रात के समय स्वयं भगवान शिव विश्राम करने आते हैं। इस लेख में हम इसी रहस्य पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग का परिचय
ओंकारेश्वर मध्यप्रदेश के खंडवा जिले में स्थित है। यह स्थल दो भागों में बंटा है –
1. ओंकारेश्वर (नदी के बीच स्थित शिवलिंग)
2. ममलेश्वर (स्थल पर स्थित द्वितीय लिंग)
कहते हैं कि जब भगवान शिव ने ब्रह्मा और विष्णु की परीक्षा ली थी, तब इस स्थल पर ज्योतिर्लिंग प्रकट हुआ और तभी से इसे ओंकारेश्वर कहा जाने लगा – जिसका अर्थ है ‘ओंकार’ अर्थात् ब्रह्मांड की ध्वनि का ईश्वर।
रहस्य: जब रात में आते हैं शिव विश्राम करने
यह मान्यता अत्यंत प्राचीन है कि ओंकारेश्वर में रात के समय शिवजी अदृश्य रूप में विश्राम करने आते हैं।
विशेष घटनाएं जो इस मान्यता को बल देती हैं:
- रात को मंदिर से आती दिव्य सुगंध:
पुजारियों के अनुसार, रात को शिवजी के विश्राम के समय मंदिर से अलग प्रकार की सुगंध आने लगती है, जो सामान्य रूप से नहीं मिलती। - नंदी की मुद्रा में परिवर्तन:
कहा जाता है कि मंदिर में स्थापित नंदी की मूर्ति की दिशा रात में थोड़ी बदल जाती है, मानो वह अपने आराध्य को निहार रही हो। - श्रद्धालुओं के अनुभव:
कई श्रद्धालु और पुजारी बताते हैं कि उन्होंने रात में मंत्रोच्चार, घंटियों की आवाजें और एक अदृश्य उपस्थिति महसूस की है।
पौराणिक कथाएं जो इसे आधार देती हैं
1. मांडहाता राजा की तपस्या:
पौराणिक कथा है कि राजा मांडहाता ने इस स्थान पर कठोर तप किया, जिससे प्रसन्न होकर शिवजी ने स्वयं प्रकट होकर यहां वास करने का वरदान दिया।
2. नर्मदा की गोद में शिवलिंग:
मान्यता है कि शिवजी ने स्वयं नर्मदा नदी के मध्य इस द्वीप पर प्रकट होकर कहा – "जो यहां मुझे रात में स्मरण करेगा, मैं उसके समीप विश्राम करूँगा।"
ओंकारेश्वर का भौगोलिक चमत्कार
यह द्वीप ‘ॐ’ (ओंकार) के आकार का है। ऊपर से देखने पर यह द्वीप अक्षर 'ॐ' के समान प्रतीत होता है। यही कारण है कि इस स्थान को “ओंकारेश्वर” कहा गया।
- नर्मदा और कावेरी का संगम:
यह स्थल नर्मदा और उसकी सहायक नदी कावेरी के संगम पर स्थित है, जिसे धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र माना जाता है।
प्रमुख तीर्थ गतिविधियां और परंपराएं
1. नर्मदा परिक्रमा:
भक्तगण पूरे द्वीप का परिक्रमा करते हैं, जो लगभग 7 किमी लंबा है।
2. रात्रि विश्राम आरती:
हर रात विशेष आरती की जाती है, जिसमें यह भाव होता है कि भगवान शिव विश्राम के लिए आ चुके हैं।
3. शिवनवरात्रि और महाशिवरात्रि:
इन पर्वों पर लाखों भक्त यहां आते हैं। ऐसा कहा जाता है कि महाशिवरात्रि की रात शिवजी का अदृश्य दर्शन हो सकता है।
क्या है वैज्ञानिक दृष्टिकोण?
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से ऐसी घटनाओं का कोई ठोस प्रमाण नहीं है, लेकिन स्थान की ऊर्जा और श्रद्धा से उत्पन्न भावनात्मक अनुभव को मनोविज्ञान स्वीकार करता है।
- ध्वनि कंपन और ध्यान का प्रभाव:
ऐसी मान्यता है कि ॐ के आकार वाला द्वीप एक विशेष प्रकार की ध्वनि तरंग उत्पन्न करता है, जो ध्यान व मानसिक शांति के लिए उपयुक्त है। - जैविक सुगंध:
रात में फूलों और धूप से निकलने वाली गंध को वैज्ञानिक कारणों से समझाया जा सकता है, लेकिन श्रद्धालु इसे शिवजी की उपस्थिति मानते हैं।
श्रद्धालुओं के अनुभव
- एक भक्त की बात:
“रात 2 बजे मंदिर के पास बैठा था। आंखें बंद कीं तो ऐसा लगा जैसे कोई मेरे सिर पर हाथ रख रहा है।” - स्थानीय पुजारी का अनुभव:
“रोज रात को आरती के बाद नंदी की आंखें मानो चंचल हो जाती हैं और वह भगवान को देख रही हो – यह मैं वर्षों से देख रहा हूं।”
ओंकारेश्वर क्यों है इतना विशेष?
कारण |
विशेषता |
ज्योतिर्लिंग |
12 प्रमुख शिवलिंगों में एक |
द्वीप की आकृति |
ॐ के आकार का |
रहस्यमयी अनुभव |
रात में शिवजी का आगमन |
पौराणिक महत्व |
राजा मांडहाता की तपस्या से जुड़ा |
तीर्थ यात्रा |
नर्मदा परिक्रमा, ममलेश्वर दर्शन |
ओंकारेश्वर केवल एक तीर्थ स्थल नहीं, बल्कि एक रहस्य, श्रद्धा और चमत्कार का संगम है। यहां हर कदम पर शिव की अनुभूति होती है।
रात्रिकालीन विश्राम की मान्यता भक्तों के मन में विश्वास और प्रेम का संचार करती है। चाहे इसे चमत्कार कहें या श्रद्धा, यह निश्चित है कि ओंकारेश्वर हर भक्त को आत्मिक शांति प्रदान करता है।
Disclaimer (अस्वीकरण):
यह लेख धार्मिक मान्यताओं, पौराणिक कथाओं और श्रद्धालुओं के अनुभवों पर आधारित है। इसका उद्देश्य किसी भी प्रकार की अंधश्रद्धा को बढ़ावा देना नहीं है। कृपया इसे आस्था और जानकारी के रूप में ही लें, किसी निष्कर्ष पर पहुँचने से पहले विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लें।