क्या पीरियड में सूर्य को जल देना उचित है? जानें धार्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण

क्या मासिक धर्म के दौरान महिलाएं सूर्य को जल दे सकती हैं? जानें इसका धार्मिक, सामाजिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण इस ब्लॉग में।

क्या पीरियड में सूर्य को जल देना उचित है? जानें धार्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण

 

क्या पीरियड में सूर्य को जल दिया जा सकता है?

भारतीय संस्कृति में सूर्य को जल अर्पित करना एक प्राचीन परंपरा है, जिसे ‘अर्घ्य देना’ कहा जाता है। यह नित्यकर्मों में गिना जाता है और माना जाता है कि सूर्य को जल देने से व्यक्ति की सेहत, मन और आत्मा तीनों शुद्ध होते हैं। लेकिन जब बात महिलाओं और विशेष रूप से मासिक धर्म (पीरियड्स) की आती है, तो कई बार ये प्रश्न उठता है — क्या पीरियड्स के दौरान सूर्य को जल दिया जा सकता है?

इस ब्लॉग में हम इस सवाल के धार्मिक, सामाजिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से विश्लेषण करेंगे।


पीरियड्स और धार्मिक मान्यताएं

हिंदू धर्म में पीरियड्स को लेकर लंबे समय से कई मान्यताएं प्रचलित हैं:

  • महिलाओं को मंदिर जाने से मना किया जाता है।
  • पूजा-पाठ, व्रत, या देवी-देवताओं को स्पर्श करने से रोक दिया जाता है।
  • कुछ घरों में महिलाओं को रसोई में भी प्रवेश नहीं करने दिया जाता।

परंतु इन मान्यताओं का कोई ठोस वेद-पुराणों से प्रमाण नहीं मिलता। यह अधिकतर सामाजिक रूढ़ियों पर आधारित हैं, न कि धर्म के शास्त्रीय सिद्धांतों पर।


सूर्य को जल देने की प्रक्रिया

सूर्य को जल देना एक योगिक क्रिया के रूप में भी जाना जाता है। यह:

  • सुबह की सकारात्मक ऊर्जा को आत्मसात करता है।
  • विटामिन D का प्राकृतिक स्रोत है।
  • आंखों और मन को शांत करता है।
  • नाड़ी और चक्रों को संतुलित करने में मदद करता है।

यह क्रिया सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि स्वास्थ्य से जुड़ी भी है, इसलिए इसका सभी के लिए समान महत्व है — चाहे पुरुष हों या महिलाएं, और चाहे वे किसी भी शारीरिक स्थिति में हों।


वैज्ञानिक दृष्टिकोण

पीरियड्स कोई अशुद्ध अवस्था नहीं है, बल्कि यह महिलाओं की शारीरिक और जैविक प्रकृति का एक सामान्य हिस्सा है। विज्ञान कहता है:

  • यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, जो महिलाओं के प्रजनन तंत्र से जुड़ी होती है।
  • इस दौरान महिलाओं की इम्युनिटी थोड़ी कम हो सकती है, लेकिन मानसिक और आध्यात्मिक कार्यों से उन्हें कोई हानि नहीं होती।
  • सूर्य की रोशनी और सुबह का वातावरण इस समय महिलाओं के मूड और हार्मोन संतुलन के लिए फायदेमंद हो सकता है।

आधुनिक संतों और गुरुओं की राय

1. सद्गुरु जग्गी वासुदेव:

पीरियड्स के दौरान कोई भी पूजा या साधना करना वर्जित नहीं है। यह सिर्फ एक जैविक प्रक्रिया है।”

2. आचार्य प्रशांत:

मासिक धर्म को लेकर जो बंदिशें हैं, वो सामाजिक हैं, न कि आध्यात्मिक।”

3. बाबा रामदेव:

पीरियड्स में योग भी कर सकते हैं, ध्यान भी कर सकते हैं। यह शरीर की सामान्य प्रक्रिया है।”


क्या सूर्य को जल दिया जा सकता है?

हां, पीरियड्स के दौरान महिलाएं सूर्य को जल दे सकती हैं।
यह कोई पाप या दोष नहीं है। यदि आप शारीरिक रूप से स्वस्थ महसूस कर रही हैं, तो इस कार्य में कोई बाधा नहीं है।

यह एक मानसिक और सामाजिक बदलाव की आवश्यकता है कि हम पीरियड्स को किसी भी प्रकार की ‘अशुद्धता’ से जोड़ना बंद करें। आत्मिक साधना, सूर्य पूजन, ध्यान और सकारात्मक ऊर्जा पर सभी का समान अधिकार है, चाहे वह किसी भी अवस्था में हों।


सुझाव

  • यदि आप किसी विशेष परंपरा या कुल की मान्यताओं का पालन करती हैं, तो अपने परिवार या गुरुजन से बातचीत जरूर करें।
  • स्वयं की शारीरिक और मानसिक स्थिति को प्राथमिकता दें।
  • मासिक धर्म को लेकर किसी भी प्रकार की गिल्ट या शर्म का अनुभव न करें। यह पूर्णतः स्वाभाविक और दिव्य प्रक्रिया है।