सलीम अख्तर का निधन: रानी मुखर्जी के करियर की नींव रखने वाले निर्माता को बॉलीवुड की अंतिम श्रद्धांजलि

बॉलीवुड निर्माता सलीम अख्तर का निधन हो गया। उन्होंने रानी मुखर्जी को ‘राजा की आएगी बारात’ फिल्म से लॉन्च किया था। पढ़ें उनके करियर, योगदान और विरासत के बारे में।

सलीम अख्तर का निधन: रानी मुखर्जी के करियर की नींव रखने वाले निर्माता को बॉलीवुड की अंतिम श्रद्धांजलि

 

फिल्म निर्माता सलीम अख्तर का निधन: रानी मुखर्जी के करियर की नींव रखने वाले निर्माता को बॉलीवुड का आखिरी सलाम

बॉलीवुड इंडस्ट्री ने एक और अनुभवी और संवेदनशील फिल्म निर्माता को खो दिया है। सलीम अख्तर, जिन्होंने 90 के दशक में कई कलाकारों को ब्रेक दिया और विशेष रूप से अभिनेत्री रानी मुखर्जी के करियर की शुरुआत की, अब इस दुनिया में नहीं रहे।
उनके निधन से फिल्मी दुनिया में शोक की लहर दौड़ गई है। वे न केवल एक निर्माता थे, बल्कि एक दूरदर्शी थे जिन्होंने सिनेमा को नई दिशा देने में मदद की।


 कौन थे सलीम अख्तर?

सलीम अख्तर एक प्रतिष्ठित फिल्म निर्माता थे जिन्होंने बॉलीवुड में कई उल्लेखनीय फिल्मों का निर्माण किया। उन्होंने अपने प्रोडक्शन हाउस A.A. Films के तहत कुछ बेहद प्रभावशाली फिल्मों को जन्म दिया।
उनकी सबसे प्रमुख और यादगार फिल्म थी राजा की आएगी बारात’ (1997), जिसके जरिए उन्होंने रानी मुखर्जी को हिंदी सिनेमा में लॉन्च किया था। रानी के साथ उनकी यह पहली फिल्म भले ही बॉक्स ऑफिस पर बड़ी हिट नहीं थी, लेकिन इससे रानी के टैलेंट की एक नई पहचान बनी।


 रानी मुखर्जी की शुरुआत और सलीम अख्तर का योगदान

जब बॉलीवुड में नेपोटिज़्म और स्टार किड्स को प्राथमिकता देने की चर्चाएं होती हैं, तब सलीम अख्तर जैसे निर्माताओं का ज़िक्र ज़रूरी हो जाता है, जिन्होंने प्रतिभा को पहचान कर उसे मंच दिया।
रानी मुखर्जी, जो उस समय एक नवोदित कलाकार थीं, को बड़े पर्दे पर पेश करने का साहस सलीम अख्तर ने ही किया।
उनकी फिल्म राजा की आएगी बारात’ एक सामाजिक मुद्दे पर आधारित कहानी थी, जिसमें एक महिला के आत्मसम्मान और न्याय के संघर्ष को दिखाया गया। यह फिल्म आज भी अपने विषय और प्रस्तुति के लिए सराही जाती है।


उनकी फिल्मों की खासियत

सलीम अख्तर ने हमेशा ऐसी फिल्मों का निर्माण किया जो आम लोगों की ज़िंदगी से जुड़ी होती थीं। उनकी फिल्मों में:

  • सामाजिक मुद्दों की झलक होती थी
  • महिला पात्रों को मजबूत रूप में प्रस्तुत किया जाता था
  • भावनाओं और संवेदनाओं का अद्भुत मिश्रण होता था
  • संवाद दिल से निकलते और सीधे दिल तक पहुँचते थे

वे स्टारडम से ज़्यादा कंटेंट में विश्वास रखते थे।


निधन और अंतिम विदाई

सलीम अख्तर का निधन 8 अप्रैल 2025 को हुआ। वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे और मुंबई के एक निजी अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था।
उनकी उम्र करीब 74 वर्ष थी। उनका अंतिम संस्कार मुंबई में उनके परिवार और फिल्म जगत की मौजूदगी में किया गया।

उनके बेटे दिशान अख्तर और परिवार के अन्य सदस्य अंतिम क्षणों तक उनके साथ थे।


 फिल्मी हस्तियों की श्रद्धांजलि

सलीम अख्तर के निधन पर बॉलीवुड के कई सितारों ने गहरा शोक व्यक्त किया।

रानी मुखर्जी ने एक भावुक बयान जारी किया:

"मैं आज जहाँ हूँ, उसमें सलीम अंकल का बहुत बड़ा हाथ है। उन्होंने मुझ पर विश्वास किया जब मुझे खुद पर भी नहीं था। उनका जाना मेरे लिए पिता तुल्य व्यक्ति को खोने जैसा है।"

मनोज बाजपेयी, विद्या बालन, और अन्य कलाकारों ने भी उनके साथ बिताए गए अनुभव साझा किए और श्रद्धांजलि दी।


उनकी विरासत

हालाँकि सलीम अख्तर ने गिनी-चुनी फिल्मों का निर्माण किया, लेकिन हर फिल्म का विषय और उसका सामाजिक प्रभाव गहरा था।
उन्होंने सिखाया कि निर्माता का काम सिर्फ पैसा लगाना नहीं, बल्कि कहानी को जीना और उसे समाज के सामने सच्चाई के साथ पेश करना भी है।

उनकी बनाई फिल्में आने वाले वर्षों में फिल्म संस्थानों और सिने प्रेमियों के लिए प्रेरणा बनी रहेंगी।


 नया सिनेमा और सलीम अख्तर की सोच

आज जब फिल्मों का फोकस VFX, ग्लैमर और बड़े बजट की तरफ मुड़ गया है, वहीं सलीम अख्तर जैसे निर्माता हमें याद दिलाते हैं कि सिनेमा का मूल उद्देश्य समाज का दर्पण होना है
उन्होंने बिना शोर-शराबे के काम किया और पीछे एक सादगीभरी लेकिन प्रेरणादायक विरासत छोड़ी।


 अनकही कहानियाँ और अधूरी फिल्में

सूत्रों के अनुसार, सलीम अख्तर एक नई स्क्रिप्ट पर काम कर रहे थे जो महिला सशक्तिकरण पर आधारित थी। यह उनकी अंतिम अधूरी कृति रह गई।
परिवार के सदस्य या उनकी टीम यदि चाहे तो इस फिल्म को पूरा कर सकती है, जो उनके लिए एक सच्ची श्रद्धांजलि होगी।


 निष्कर्ष

सलीम अख्तर का जाना बॉलीवुड के उस दौर का अंत है जहाँ सादगी, कला और साहस के साथ सिनेमा बनता था।
वे उन निर्माताओं में से थे जो गुमनामी में रहकर भी नई रौशनी के लिए रास्ता बनाते थे।
उनकी फिल्में, उनकी सोच और उनका काम आने वाली पीढ़ियों को बताता रहेगा कि सच्चा निर्माता वही है जो सिनेमा को समाज से जोड़ता है।

बॉलीवुड उन्हें हमेशा याद रखेगा — एक शांत, सशक्त और सृजनशील निर्माता के रूप में।