ट्रंप के नए टैरिफ की वजह से लुढ़का वॉल स्ट्रीट, एशियाई बाजारों में भी दिखा असर
डोनाल्ड ट्रंप के नए टैरिफ प्रस्तावों के चलते वॉल स्ट्रीट में भारी गिरावट देखी गई। इसका असर एशियाई शेयर बाजारों तक पहुंचा। जानिए क्या है इसकी वजह और आगे बाजार का रुख कैसा रहेगा।

ट्रंप के नए टैरिफ की वजह से लुढ़का वॉल स्ट्रीट, गिरावट की आंच एशियाई बाजारों तक पहुंची
वॉल स्ट्रीट, जिसे वैश्विक वित्तीय बाजार का नाभिक कहा जाता है, एक बार फिर डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति की चपेट में आ गया है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति और 2024 चुनाव के संभावित उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर आक्रामक व्यापार नीति का संकेत देते हुए चीन, मैक्सिको और अन्य देशों पर भारी टैरिफ लगाने की घोषणा की है।
इस खबर के आते ही अमेरिका का शेयर बाजार भारी गिरावट के साथ बंद हुआ, और इसका असर एशियाई शेयर बाजारों तक दिखाई दिया। निवेशकों में भय, अनिश्चितता और जोखिम की भावना ने बिकवाली को बढ़ावा दिया, जिससे एक दिन में ही अरबों डॉलर की पूंजी वाष्पित हो गई।
क्या हुआ वॉल स्ट्रीट में?
वॉल स्ट्रीट के तीन प्रमुख इंडेक्स—Dow Jones, S&P 500, और Nasdaq Composite—में भारी गिरावट देखी गई।
- Dow Jones करीब 600 अंकों की गिरावट के साथ बंद हुआ।
- S&P 500 ने 1.5% की गिरावट दर्ज की।
- Nasdaq Composite में लगभग 2% की गिरावट आई।
इस गिरावट की मुख्य वजह निवेशकों का यह डर था कि ट्रंप की टैरिफ नीति एक बार फिर व्यापार युद्ध को जन्म दे सकती है, जिससे वैश्विक व्यापार बाधित होगा।
टैरिफ का असर एशियाई बाजारों पर
अमेरिकी बाज़ारों की गिरावट का असर सुबह होते ही जापान, चीन, भारत, हांगकांग और दक्षिण कोरिया जैसे देशों के शेयर बाजारों में दिखने लगा।
- Nikkei 225 (जापान) लगभग 1.8% गिरा।
- Hang Seng (हांगकांग) में 2.3% की भारी गिरावट आई।
- Shanghai Composite (चीन) भी 1.5% टूटा।
- BSE Sensex और Nifty 50 (भारत) ने 1% से अधिक की गिरावट के साथ ट्रेडिंग शुरू की।
निवेशकों का मूड वैश्विक स्तर पर नकारात्मक हो गया है, और सुरक्षित निवेश जैसे गोल्ड और डॉलर में तेजी देखी गई।
ट्रंप का टैरिफ प्लान: क्या है इसमें?
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने ताजा इंटरव्यू में कहा कि अगर वे फिर से राष्ट्रपति बनते हैं तो वे:
- चीन से आने वाले सभी उत्पादों पर 60% तक टैरिफ लगा सकते हैं।
- मेक्सिको और अन्य देशों से आयातित वस्तुओं पर भी टैरिफ बढ़ाने का विचार है।
- यह कदम "अमेरिका फर्स्ट" नीति के तहत स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए है।
हालांकि इससे मुद्रास्फीति (Inflation) बढ़ सकती है और वैश्विक व्यापार में असंतुलन आ सकता है।
निवेशकों की चिंता: 3 बड़ी वजहें
1. मुद्रास्फीति का खतरा
टैरिफ बढ़ने से आयात महंगा होगा, जिससे अमेरिका और अन्य देशों में महंगाई बढ़ेगी। इससे ब्याज दरें भी ऊपर जा सकती हैं।
2. व्यापार युद्ध की आशंका
चीन और अन्य प्रभावित देश जवाबी टैरिफ लगा सकते हैं, जिससे व्यापार युद्ध जैसी स्थिति बन सकती है, जैसा कि 2018–2019 में हुआ था।
3. वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला पर असर
टैरिफ के कारण अंतरराष्ट्रीय आपूर्ति श्रृंखला बाधित हो सकती है, जिससे इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल और टेक कंपनियों को बड़ा नुकसान हो सकता है।
कंपनियों पर सीधा असर
टैरिफ की वजह से खासतौर पर निम्नलिखित सेक्टरों की कंपनियों पर असर देखने को मिल रहा है:
- टेक सेक्टर: Apple, Nvidia, और Intel जैसी कंपनियां चीन से बड़े पैमाने पर पार्ट्स मंगाती हैं।
- ऑटोमोबाइल सेक्टर: Ford, Tesla जैसी कंपनियों पर निर्माण लागत बढ़ने का खतरा है।
- रिटेल सेक्टर: Walmart और Amazon जैसी कंपनियों की कीमतें बढ़ सकती हैं।
निवेशक इन क्षेत्रों में निवेश से फिलहाल दूरी बना रहे हैं।
भारत पर इसका असर
भारत एक उभरता हुआ बाजार है, और अमेरिकी शेयर बाजारों की हलचल का असर यहां भी सीधे तौर पर पड़ता है।
- विदेशी निवेशक (FII) भारत से भी पूंजी निकाल सकते हैं।
- रुपये पर दबाव बढ़ सकता है।
- निर्यात पर भी असर पड़ सकता है, खासकर टेक्सटाइल और फार्मा सेक्टर में।
हालांकि कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि भारत "चीन प्लस वन" नीति के तहत निवेशकों के लिए एक विकल्प बन सकता है।
आगे क्या? निवेशकों के लिए सलाह
- अल्पकालिक अस्थिरता से घबराएं नहीं
- लंबी अवधि के निवेश को प्राथमिकता दें
- डायवर्सिफिकेशन (विभिन्न क्षेत्रों में निवेश) पर ध्यान दें
- सुरक्षित निवेश जैसे गोल्ड और बॉन्ड्स पर भी विचार करें
- टेक और एक्सपोर्ट ओरिएंटेड कंपनियों में सतर्कता रखें
निष्कर्ष
डोनाल्ड ट्रंप की नई टैरिफ नीति के संकेतों ने एक बार फिर दुनिया के वित्तीय बाजारों में अस्थिरता ला दी है। वॉल स्ट्रीट की गिरावट सिर्फ अमेरिका तक सीमित नहीं रही, बल्कि इसकी गूंज एशियाई बाजारों में भी सुनाई दी।
निवेशकों के लिए यह समय सतर्क रहने का है। जब तक टैरिफ और ग्लोबल ट्रेड को लेकर स्पष्टता नहीं आती, तब तक बाजार में उतार-चढ़ाव बना रहेगा।
ध्यान रहे, बाजार डर से नहीं, रणनीति से जीते जाते हैं।