युद्ध के फोटो या वीडियो का आए लिंक तो न करें क्लिक, जानें क्या हो सकता है नुकसान

युद्ध से जुड़े वीडियो या फोटो के लिंक पर क्लिक करना साइबर अटैक, डेटा चोरी और फिशिंग स्कैम को न्योता दे सकता है। जानिए ऐसे खतरनाक लिंक से कैसे बचें।

युद्ध के फोटो या वीडियो का आए लिंक तो न करें क्लिक, जानें क्या हो सकता है नुकसान

आज के डिजिटल युग में सोशल मीडिया और मैसेजिंग प्लेटफॉर्म्स पर सूचनाओं की बाढ़ सी आ गई है। विशेष रूप से जब दुनिया के किसी कोने में युद्ध, संघर्ष या हमला होता है, तो अचानक सोशल मीडिया पर फोटो, वीडियो और लिंक की भरमार होने लगती है। ये लिंक युद्ध के मैदानों की भयावह तस्वीरें या वीडियो होने का दावा करते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये लिंक कितने सुरक्षित हैं? क्या ये सिर्फ सूचना देने के लिए होते हैं या इसके पीछे कोई बड़ा साइबर खतरा छिपा होता है?

इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि ऐसे लिंक कितने खतरनाक हो सकते हैं, किस तरह ये आपकी प्राइवेसी और डिवाइस को नुकसान पहुंचा सकते हैं और किन बातों का ध्यान रखकर आप खुद को इनसे सुरक्षित रख सकते हैं।


1. भावनात्मक रूप से खेलने की रणनीति

जब भी कोई युद्ध या हिंसक घटना होती है, तो हमारी संवेदनशीलता चरम पर होती है। ऐसे में जब कोई "Exclusive Video of Bombing", "Live Attack Footage" या "Children Killed in War" जैसे हेडलाइन वाले लिंक शेयर करता है, तो लोग भावनात्मक रूप से आक्रोशित होकर बिना सोचे-समझे क्लिक कर देते हैं।

साइबर अपराधी इसी भावना का फायदा उठाते हैं। वे जानबूझकर संवेदनशील शब्दों और इमेजेस का इस्तेमाल करते हैं ताकि अधिक से अधिक लोग इन पर क्लिक करें और वे अपना मकसद पूरा कर सकें।


2. मैलिशस लिंक से हो सकता है बड़ा साइबर अटैक

बहुत से ऐसे लिंक किसी खास वेबसाइट या YouTube वीडियो का नहीं बल्कि एक फेक, मैलिशस (हानिकारक) लिंक होता है। जैसे ही आप उस पर क्लिक करते हैं, आपकी डिवाइस में:

  • वायरस इंस्टॉल हो सकता है
  • ट्रोजन या की-लॉगर आ सकता है
  • आपके सोशल मीडिया, बैंकिंग या ईमेल अकाउंट्स का एक्सेस हैकर्स को मिल सकता है
  • मोबाइल या कंप्यूटर पूरी तरह लॉक हो सकता है (Ransomware attack)

कुछ लिंक दिखने में इतने असली लगते हैं कि आप उनमें और असली न्यूज़ साइट के बीच अंतर नहीं कर सकते।


3. फिशिंग स्कैम का बढ़ता खतरा

ऐसे लिंक के माध्यम से यूज़र को किसी नकली वेबसाइट पर रीडायरेक्ट किया जाता है, जहां उनसे ईमेल, फोन नंबर, OTP या बैंक डिटेल्स मांगी जाती हैं। इस प्रक्रिया को "फिशिंग" कहा जाता है।

उदाहरण:

"इस वीडियो को देखने के लिए अपना मोबाइल नंबर दर्ज करें" या "अपना फेसबुक लॉगिन करें" जैसे पॉपअप आ सकते हैं। ये एक जाल होता है जिससे आपके अकाउंट का पासवर्ड चोरी हो सकता है।


4. डेटा हैकिंग और जासूसी का ज़रिया

कुछ मामले ऐसे भी सामने आए हैं, जहां युद्ध या आतंकवादी घटनाओं से जुड़े फर्जी वीडियो लिंक के जरिए सरकारों, संस्थानों या पत्रकारों का डेटा चुराया गया है। ये लिंक कई बार "स्पाईवेयर" या "सर्विलांस टूल" भी इंस्टॉल कर देते हैं जो आपके मोबाइल या कंप्यूटर की सारी गतिविधियों पर नज़र रखते हैं।

इसका सबसे बड़ा खतरा होता है - आपकी निजी फोटो, डॉक्युमेंट्स या बातचीत सार्वजनिक हो सकती है या ब्लैकमेलिंग का शिकार बना सकती है।


5. फर्जी प्रचार और अफवाह फैलाने का साधन

कुछ लिंक जानबूझकर समाज में डर, घृणा या अफवाह फैलाने के लिए बनाए जाते हैं। उदाहरण के लिए:

  • किसी पुराने युद्ध का वीडियो दिखाकर उसे वर्तमान का बताया जाता है।
  • नकली युद्ध सीन या गेम फुटेज को असली बताकर वायरल किया जाता है।
  • धर्म या जाति के नाम पर लोगों को भड़काने की कोशिश होती है।

ऐसे कंटेंट को शेयर करना ना सिर्फ अवैध है, बल्कि यह दंगे-फसाद जैसी स्थितियों को जन्म दे सकता है।


6. मोबाइल की बैटरी और डेटा दोनों होंगे खत्म

अगर आप ऐसे किसी स्पैम लिंक पर क्लिक करते हैं, तो वह पेज अक्सर ऑटो-प्ले वीडियो, पॉपअप विज्ञापन और कई बैकग्राउंड स्क्रिप्ट चलाता है। इससे न केवल आपका मोबाइल धीमा हो जाता है, बल्कि आपकी बैटरी और डेटा भी तेज़ी से खर्च होता है।


7. आपके सोशल मीडिया अकाउंट से हो सकता है स्पैम शेयर

कुछ मामलों में जैसे ही यूज़र लिंक पर क्लिक करता है, उसका सोशल मीडिया अकाउंट एक्सेस हो जाता है और वह लिंक उसके सभी कॉन्टैक्ट्स को भेज दिया जाता है – बिना यूज़र की जानकारी के। इससे आपकी छवि भी खराब हो सकती है।


8. कानूनी दायरे में फंस सकते हैं आप

अगर आप जाने-अनजाने किसी ऐसे लिंक को शेयर करते हैं, जिसमें झूठी जानकारी, अश्लील कंटेंट, या संवेदनशील वीडियो है, तो आप पर आईटी एक्ट की धाराओं के तहत कार्रवाई भी हो सकती है। भारत में फेक न्यूज़ और आपत्तिजनक कंटेंट शेयर करना अपराध की श्रेणी में आता है।


9. कैसे पहचानें नकली और खतरनाक लिंक

  • लिंक में अजीब अक्षर, गलत वर्तनी या अनजानी वेबसाइट का नाम हो।
  • HTTPS नहीं बल्कि सिर्फ HTTP से शुरू हो।
  • लिंक पर क्लिक करते ही बहुत सारे पॉपअप या नई टैब्स खुलने लगें।
  • "Exclusive", "Just Now", "Breaking – Click Fast" जैसे शब्दों से भरा हो।

10. खुद को और अपने परिवार को कैसे बचाएं

  • किसी भी अनजान लिंक पर क्लिक न करें, चाहे वह कितनी भी दिलचस्प लगे।
  • अपने ब्राउज़र और एंटीवायरस को अपडेट रखें।
  • मोबाइल या कंप्यूटर में फायरवॉल का इस्तेमाल करें।
  • अपने बच्चों को भी ऑनलाइन सुरक्षा के बारे में जानकारी दें।
  • किसी भी न्यूज की पुष्टि करने के लिए केवल सरकारी या मान्यता प्राप्त वेबसाइट का उपयोग करें।

युद्ध और संघर्ष की तस्वीरें या वीडियो देखना हमारी संवेदनाओं को झकझोर सकता है, लेकिन इनसे जुड़े लिंक पर अंधाधुंध क्लिक करना खतरे को न्योता देने जैसा है। याद रखें, हर लिंक सुरक्षित नहीं होता और हर वीडियो असली नहीं होता। सूझ-बूझ से काम लें, और खुद को डिजिटल दुनिया के खतरों से बचाएं।


डिस्क्लेमर:

यह लेख केवल जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें दी गई जानकारी आम उपयोगकर्ता की ऑनलाइन सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई है। किसी विशेष घटना या लिंक से जुड़ा निर्णय लेने से पहले साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें।