​श्री बृहस्पति देव की आरती: विधि, महत्त्व और लाभ

श्री बृहस्पति देव की आरती, पूजा विधि, महत्त्व और लाभ के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करें। गुरुवार को बृहस्पति देव की पूजा से जीवन में सुख, समृद्धि और ज्ञान की प्राप्ति होती है।

​श्री बृहस्पति देव की आरती: विधि, महत्त्व और लाभ

श्री बृहस्पति देव की आरती

ॐ जय बृहस्पति देवा, जय बृहस्पति देवा।
छिन-छिन भोग लगाऊँ, कदली फल मेवा॥
ॐ जय बृहस्पति देवा।

तुम पूर्ण परमात्मा, तुम अंतर्यामी।
जगतपिता जगदीश्वर, तुम सबके स्वामी॥
ॐ जय बृहस्पति देवा।

चरणामृत निज निर्मल, सब पातक हर्ता।
सकल मनोरथ दायक, कृपा करो भर्ता॥
ॐ जय बृहस्पति देवा।

तन, मन, धन अर्पण कर, जो जन शरण पड़े।
प्रभु प्रकट तब होकर, आकर द्वार खड़े॥
ॐ जय बृहस्पति देवा।

दीनदयाल दयानिधि, भक्तन हितकारी।
पाप दोष सब हर्ता, भव बंधन हारी॥
ॐ जय बृहस्पति देवा।

सकल मनोरथ दायक, सब संशय तारो।
विषय विकार मिटाओ, संतन सुखकारी॥
ॐ जय बृहस्पति देवा।

जो कोई आरती तेरी, प्रेम सहित गावे।
जेठानंद आनंदकर, सो निश्चय पावे॥
ॐ जय बृहस्पति देवा।

सब बोलो विष्णु भगवान की जय।
बोलो बृहस्पति देव भगवान की जय॥


 पूजा विधि (Brihaspati Dev Puja Vidhi)

बृहस्पति देव की पूजा मुख्यतः गुरुवार को की जाती है। पूजा विधि इस प्रकार है:

1.    स्नान और वस्त्र: प्रातःकाल स्नान करके पीले वस्त्र धारण करें।

2.    पूजा स्थल की तैयारी: पूजा स्थल को स्वच्छ करके केले के पत्ते या पीले वस्त्र से सजाएं।

3.    मूर्ति या चित्र स्थापना: बृहस्पति देव की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।

4.    पूजन सामग्री: पीले फूल, हल्दी, चने की दाल, गुड़, पीले फल, पीले वस्त्र, धूप, दीप आदि अर्पित करें।

5.    मंत्र जाप: बृहस्पति देव के मंत्र का जाप करें:

"ॐ बृं बृहस्पतये नमः"

6.    व्रत कथा: बृहस्पति व्रत कथा का पाठ करें या सुनें।

7.    आरती: ऊपर दी गई आरती का पाठ करें।

8.    प्रसाद वितरण: पूजा के बाद प्रसाद का वितरण करें।


 महत्त्व (Importance)

बृहस्पति देव को देवताओं का गुरु माना जाता है। इनकी पूजा से:

  • ज्ञान और बुद्धि की प्राप्ति होती है।
  • विवाह संबंधी बाधाएं दूर होती हैं।
  • धन, समृद्धि और सौभाग्य में वृद्धि होती है।
  • गुरु ग्रह की कृपा प्राप्त होती है, जिससे जीवन में स्थिरता आती है।

 लाभ (Benefits)

बृहस्पति देव की पूजा और आरती करने से:

  • सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
  • पापों का नाश होता है और भवबंधन से मुक्ति मिलती है।
  • संतान सुख, विद्या, और धार्मिक उन्नति प्राप्त होती है।
  • कुंडली में गुरु दोष होने पर उसकी शांति होती है।

यदि आप बृहस्पति देव की पूजा से संबंधित और जानकारी, जैसे व्रत कथा, विशेष मंत्र, या पूजा सामग्री की सूची चाहते हैं, तो कृपया बताएं। मैं आपकी सहायता के लिए तत्पर हूँ।

 

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