उदयगिरी की गुफाओं के शिलालेखों में 'भारतवर्ष' शब्द का सबसे पुराना प्रयोग: इतिहास की गवाही

क्या आप जानते हैं ‘भारतवर्ष’ शब्द का पहला ऐतिहासिक प्रमाण कहां मिला? जानिए उदयगिरी की गुफाओं में खुदे शिलालेखों की कहानी और भारत की सांस्कृतिक पहचान का इतिहास।

उदयगिरी की गुफाओं के शिलालेखों में 'भारतवर्ष' शब्द का सबसे पुराना प्रयोग: इतिहास की गवाही

भारत—यह सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि एक सभ्यता, एक पहचान और हजारों वर्षों की सांस्कृतिक परंपरा का प्रतीक है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ‘भारतवर्षशब्द का ऐतिहासिक रूप से सबसे पहला प्रयोग कब और कहां हुआ था?

इस प्रश्न का उत्तर हमें मिलता है मध्यप्रदेश की उदयगिरी की गुफाओं में खुदे शिलालेखों में, जिनमें 'भारतवर्ष' शब्द का सबसे प्राचीन प्रमाण दर्ज है। यह प्रमाण न केवल ऐतिहासिक महत्व रखता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि हमारी सांस्कृतिक पहचान कितनी प्राचीन और सशक्त है।

इस लेख में हम जानेंगे:

  • उदयगिरी गुफाओं का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व
  • शिलालेखों में ‘भारतवर्ष’ शब्द का प्रयोग
  • गुप्तकाल और सम्राट चंद्रगुप्त द्वितीय का योगदान
  • 'भारत' नाम की उत्पत्ति और ऐतिहासिक गहराई

 उदयगिरी की गुफाएं: इतिहास में एक झरोखा

उदयगिरी, मध्यप्रदेश के विदिशा ज़िले के पास स्थित एक पहाड़ी क्षेत्र है, जहां 20 से अधिक गुफाएं हैं जो प्राचीन हिंदू, जैन और बौद्ध संस्कृति की गवाही देती हैं। ये गुफाएं चौथी शताब्दी ईस्वी, यानी गुप्तकाल के समय की हैं।

यह गुफाएं अपनी वास्तुकला, मूर्तिकला और शिलालेखों के कारण भारत के प्राचीनतम धार्मिक स्थलों में गिनी जाती हैं।


 शिलालेखों में 'भारतवर्ष' शब्द की उपस्थिति

उदयगिरी की गुफा संख्या 6 में स्थित एक संस्कृत शिलालेख में पहली बार भारतवर्ष’ शब्द का उल्लेख मिलता है। यह शिलालेख सम्राट चंद्रगुप्त द्वितीय और उनके मंत्री विरासेना द्वारा खुदवाया गया था।

इस शिलालेख में एक वाक्य है:
"
येन भारतवर्षस्य भूपतिर्गुणवानभूत्..."
(
जिसके द्वारा भारतवर्ष का राजा गुणवान बना...)

यह शिलालेख प्रमाणित करता है कि चौथी शताब्दी में भारतवर्ष शब्द का प्रयोग एक सांस्कृतिक, भौगोलिक और राजनीतिक इकाई के रूप में होता था।


 चंद्रगुप्त द्वितीय विक्रमादित्य और भारतवर्ष की एकता

चंद्रगुप्त द्वितीय (378-415 ई.) गुप्त साम्राज्य के सबसे शक्तिशाली शासकों में से एक थे। उनके शासनकाल को "स्वर्ण युग" कहा जाता है।
उन्होंने भारतवर्ष को एक राजनीतिक रूप से संगठित इकाई के रूप में सशक्त किया।

उदयगिरी शिलालेख इस बात का गवाह है कि उनके शासनकाल में भारतवर्ष एक प्रतिष्ठित अवधारणा बन चुकी थी।


 'भारतवर्ष' नाम की उत्पत्ति

भारत’ शब्द की उत्पत्ति ‘भरत’ नामक राजा से मानी जाती है, जो पौराणिक कथाओं के अनुसार ऋषभदेव के पुत्र थे। ‘भारतवर्ष’ का उल्लेख पुराणों, महाभारत और वेदों में भी होता है, लेकिन उदयगिरी का शिलालेख इस नाम की सबसे प्राचीन भौतिक अभिव्यक्ति है।

पुराणों में भारतवर्ष:

  • विष्णु पुराण, भागवत पुराण, और वायु पुराण में भारतवर्ष को जंबूद्वीप के नौ खंडों में एक बताया गया है।
  • इसमें कहा गया है कि यह भूमि धर्म, ज्ञान और तपस्या की भूमि है।

 उदयगिरी गुफाएं – कला और आस्था का संगम

इन गुफाओं की दीवारों पर बनी मूर्तियां, विशेष रूप से गुफा संख्या 5 की विशाल विष्णु के वराह अवतार की प्रतिमा, भारत की मूर्तिकला की अद्भुत कृति मानी जाती है।

प्रमुख विशेषताएं:

  • गुफा संख्या 5: वराह अवतार की मूर्ति, जो पृथ्वी को बचाते हुए दर्शाई गई है।
  • गुफा संख्या 6: शिलालेख जिसमें 'भारतवर्ष' शब्द दर्ज है।
  • गुफा संख्या 4: शिवलिंग के साथ छोटी गुफा जो तपस्या की भावना को दर्शाती है।

 शिलालेखों की भाषा और लिपि

उदयगिरी के शिलालेखों की भाषा संस्कृत है और लिपि है ब्राह्मी, जो उस समय की प्रमुख लिपि थी।

यह दर्शाता है कि भारतवर्ष की संकल्पना केवल एक भौगोलिक अवधारणा नहीं थी, बल्कि इसे धार्मिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक रूप से एकीकृत राष्ट्र के रूप में समझा जाता था।


 पुरातत्त्वीय महत्व

भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (ASI) और अनेक शोधकर्ताओं ने उदयगिरी को भारत के इतिहास में मील का पत्थर माना है।
यह स्थान हमें भारत के राजनैतिक और सांस्कृतिक एकीकरण की गहराई और पुरातनता का प्रमाण देता है।


 भारतवर्ष’ की व्यापक परिभाषा

भारतवर्ष का अर्थ केवल वर्तमान भारत नहीं था। उस समय इसकी परिभाषा में शामिल थे:

  • वर्तमान भारत
  • नेपाल
  • पाकिस्तान का हिस्सा
  • बांग्लादेश
  • कभी-कभी तिब्बत और श्रीलंका भी सांस्कृतिक रूप से जुड़े माने जाते थे

 ‘भारतवर्ष’—सिर्फ नाम नहीं, हमारी पहचान

उदयगिरी की गुफाओं में ‘भारतवर्ष’ शब्द का उल्लेख यह दर्शाता है कि हमारी राष्ट्रीय पहचान कोई नई नहीं, बल्कि हजारों वर्षों पुरानी है। यह शिलालेख न केवल ऐतिहासिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि भारत की अवधारणा सनातन और सतत रही है।

आज जब हम ‘भारत’ कहकर गौरव महसूस करते हैं, तो यह केवल संवैधानिक नाम नहीं, बल्कि एक महान सांस्कृतिक विरासत की प्रतिध्वनि है, जिसकी जड़ें उदयगिरी जैसी गुफाओं में आज भी गूंज रही हैं।