नेशनल एग्रीकल्चर कोड (NAC): भारतीय कृषि में डिजिटल परिवर्तन की नई पहल

जानिए नेशनल एग्रीकल्चर कोड (NAC) क्या है, इसके उद्देश्य, लाभ, कार्यप्रणाली और किसानों के जीवन में इसके प्रभाव के बारे में विस्तृत जानकारी।

नेशनल एग्रीकल्चर कोड (NAC): भारतीय कृषि में डिजिटल परिवर्तन की नई पहल

भारत जैसे कृषि-प्रधान देश में खेती की पारंपरिक पद्धतियों को आधुनिक तकनीक और डेटा प्रबंधन से जोड़ना समय की आवश्यकता बन गई थी। इसी जरूरत को देखते हुए भारत सरकार ने नेशनल एग्रीकल्चर कोड (NAC) का प्रस्ताव रखा है।
यह पहल भारतीय कृषि व्यवस्था को एक नया डिजिटल पहचान और प्रबंधन प्लेटफॉर्म देने का प्रयास है।

इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि NAC क्या है, इसके लाभ, उद्देश्य, कार्यान्वयन प्रक्रिया और इससे किसानों के जीवन में आने वाले बदलावों के बारे में।


नेशनल एग्रीकल्चर कोड (NAC) क्या है?

नेशनल एग्रीकल्चर कोड (NAC) एक यूनिक डिजिटल कोड है जो भारत के हर खेत और कृषि इकाई को एक विशेष पहचान प्रदान करेगा।
सरल शब्दों में कहें तो NAC खेती योग्य जमीन के हर टुकड़े को एक विशेष नंबर (कोड) से चिन्हित करेगा, जैसे आधार कार्ड व्यक्ति की पहचान है।

यह कोड न केवल खेतों की लोकेशन बताएगा, बल्कि फसल, सिंचाई, मिट्टी की गुणवत्ता और उत्पादन क्षमता जैसी महत्वपूर्ण जानकारियों को भी जोड़ने में मदद करेगा।


नेशनल एग्रीकल्चर कोड (NAC) की शुरुआत

NAC पहल को कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा 2024 में लॉन्च किया गया था।
इस योजना का उद्देश्य किसानों को सरकारी योजनाओं, क्रेडिट सुविधा, बीमा, मौसम सलाह, उर्वरक और बीज सप्लाई से लेकर बाजार संपर्क तक बेहतर ढंग से जोड़ना है।

यह डिजिटल इनिशिएटिव भारत सरकार के "डिजिटल इंडिया" और "स्मार्ट खेती" मिशन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।


NAC के प्रमुख उद्देश्य

  • प्रत्येक खेत को एक विशिष्ट डिजिटल पहचान प्रदान करना।
  • कृषि संबंधित डेटा को एकत्रित करना और उसका विश्लेषण करना।
  • योजनाओं और सब्सिडी का सही लक्ष्यीकरण करना।
  • किसानों को तकनीकी सलाह और सूचनाएँ सही समय पर भेजना।
  • भूमि उपयोग योजना को बेहतर बनाना।
  • फसल बीमा दावों की त्वरित और निष्पक्ष प्रक्रिया सुनिश्चित करना।
  • खाद्यान्न सुरक्षा और उत्पादन क्षमता बढ़ाना।

नेशनल एग्रीकल्चर कोड (NAC) कैसे काम करेगा?

NAC कार्यप्रणाली निम्न चरणों में पूरी होगी:

1. खेत का जियो-मैपिंग:
सैटेलाइट, ड्रोन और जमीनी सर्वेक्षण से हर खेत की सीमाओं को चिन्हित किया जाएगा।

2. डिजिटल रजिस्ट्रेशन:
प्रत्येक खेत को मालिक के विवरण, फसल पैटर्न, सिंचाई स्रोत, मिट्टी के प्रकार आदि के साथ डिजिटल रूप से दर्ज किया जाएगा।

3. यूनिक NAC कोड:
पंजीकरण के बाद हर खेत को एक नेशनल एग्रीकल्चर कोड (NAC) दिया जाएगा, जो उस खेत की स्थायी पहचान होगी।

4. डेटा इंटीग्रेशन:
सरकारी योजनाएँ, बैंकिंग सेवाएँ, बीमा पॉलिसी, मंडी मूल्य और मौसम अपडेट को खेत से जोड़कर किसानों को तत्काल सूचना प्रदान की जाएगी।


NAC के किसानों के लिए लाभ

1. योजनाओं का सीधा लाभ:
किसानों को किसी बिचौलिए के बिना सरकारी सब्सिडी, अनुदान और सहायता सीधे मिल सकेगी।

2. फसल बीमा में पारदर्शिता:
खेत के सटीक डाटा के आधार पर फसल बीमा के दावे जल्दी स्वीकृत होंगे।

3. आसान ऋण सुविधा:
बैंक खेत की डिजिटल प्रोफाइल देखकर सरलता से लोन स्वीकृत कर सकेंगे।

4. बाजार में बेहतर पहुँच:
फसल उत्पादन और मांग के हिसाब से किसान अपनी फसल को सही बाजार में बेच सकेंगे।

5. तकनीकी सलाह:
खास फसलों के लिए समय-समय पर उर्वरक, सिंचाई और कीटनाशक उपयोग की सलाह मोबाइल पर मिलेगी।


NAC से जुड़े कुछ प्रमुख फीचर्स

फीचर

विवरण

जियो-टैगिंग

खेत की लोकेशन और क्षेत्रफल का सटीक मापन

डिजिटल भूमि रिकॉर्ड

मालिकाना हक और भूमि उपयोग का ऑनलाइन दस्तावेजीकरण

फसल डाटा ट्रैकिंग

फसल बोने से लेकर कटाई तक की पूरी जानकारी

स्मार्ट अलर्ट्स

मौसम, बीमारियों और बाजार दरों के अपडेट

इंटीग्रेटेड प्लेटफॉर्म

एक ही पोर्टल से बीमा, लोन, और सरकारी सेवाओं तक पहुँच


सरकार की रणनीति और भविष्य की योजनाएँ

  • पायलट प्रोजेक्ट:
    शुरुआत में चुनिंदा राज्यों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू किया गया है (जैसे मध्य प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र)।
  • फेज वाइज रोलआउट:
    पायलट सफल होने पर पूरे देश में इसे चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा।
  • सभी कृषि योजनाओं का एकीकरण:
    पीएम किसान सम्मान निधि, फसल बीमा योजना, कृषि उपकरण सब्सिडी आदि को NAC से लिंक किया जाएगा।
  • AI और Big Data Analytics:
    भविष्य में NAC डाटा का उपयोग Artificial Intelligence और Big Data विश्लेषण के जरिए कृषि नीति निर्धारण में किया जाएगा।

चुनौतियाँ और समाधान

चुनौतियाँ:

  • सभी किसानों तक डिजिटल साक्षरता पहुँचाना।
  • डेटा सुरक्षा और गोपनीयता सुनिश्चित करना।
  • भूमि विवादों और रिकॉर्ड में त्रुटियों को सुलझाना।
  • व्यापक स्तर पर सर्वेक्षण करना एक बड़ा कार्य है।

समाधान:

  • ग्राम पंचायतों के माध्यम से जागरूकता अभियान।
  • सरल मोबाइल ऐप्स और SMS सेवाएँ।
  • किसानों को डिजिटल ट्रेनिंग देना।
  • तकनीकी पार्टनरशिप्स के जरिए प्रक्रिया को गति देना।

नेशनल एग्रीकल्चर कोड (NAC) भारतीय कृषि के लिए एक गेम-चेंजर साबित हो सकता है।
यह किसानों को डिजिटल रूप से सशक्त बनाएगा, सरकारी योजनाओं के लाभों को सही समय पर पहुँचाएगा, और कृषि उत्पादन में वृद्धि लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

अगर सही तरीके से लागू किया गया, तो आने वाले वर्षों में भारत की कृषि अर्थव्यवस्था को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाने में NAC की महत्वपूर्ण भूमिका

 

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