काशी में क्यों कहलाते हैं भोले बाबा ‘विश्वनाथ’? जानें मंदिर का इतिहास, महत्व और रहस्य

जानें काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास, धार्मिक महत्व और भगवान शिव को ‘विश्वनाथ’ क्यों कहा जाता है। पढ़ें पुराणों से लेकर आधुनिक विकास तक की पूरी जानकारी।

काशी में क्यों कहलाते हैं भोले बाबा ‘विश्वनाथ’? जानें मंदिर का इतिहास, महत्व और रहस्य

भारत की सांस्कृतिक राजधानी काशी (वाराणसी) को स्वयं भगवान शिव की नगरी कहा जाता है। यह ऐसी नगरी है, जहां मृत्यु भी मोक्ष का द्वार बन जाती है। और इस पवित्र नगरी के केंद्र में स्थित है – श्री काशी विश्वनाथ मंदिर, जहां विराजते हैं भोले बाबा “विश्व के नाथके रूप में।

लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि भगवान शिव को काशी में “विश्वनाथ” क्यों कहा जाता है? इस लेख में हम जानेंगे:

  • श्री काशी विश्वनाथ मंदिर का महत्व
  • "विश्वनाथ" नाम का अर्थ
  • मंदिर का इतिहास और इसकी पुनर्निर्माण गाथा
  • धार्मिक और सांस्कृतिक संदर्भ
  • और क्यों हर शिवभक्त को एक बार यहां जरूर आना चाहिए

 विश्वनाथ” नाम का अर्थ क्या है?

विश्वनाथदो शब्दों से मिलकर बना है:

  • विश्व = संसार / ब्रह्मांड
  • नाथ = स्वामी / ईश्वर

अर्थात “विश्वनाथ” का मतलब हुआ – संपूर्ण ब्रह्मांड के स्वामी। काशी में विराजमान शिव को यह उपाधि इसलिए प्राप्त हुई क्योंकि वह केवल इस नगरी के नहीं, बल्कि पूरे सृष्टि के स्वामी माने जाते हैं।

पुराणों के अनुसार, काशी केवल पृथ्वी पर नहीं बल्कि त्रिलोकों में स्थित एक दिव्य नगरी है, जिसके नाथ स्वयं भगवान शिव हैं।


 काशी विश्वनाथ मंदिर का धार्मिक महत्व

  • यह मंदिर बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है।
  • माना जाता है कि यहां दर्शन मात्र से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  • यहां का विशेष “काशी खंड” स्कंद पुराण में विस्तार से वर्णित है।
  • मृत्यु के समय यहां शिव भक्त के कान में स्वयं भोलेनाथ "तारक मंत्र" कहते हैं।

 विशेष मान्यताएं:

1.    काशी विश्वनाथ का दर्शन करने से करोड़ों जन्मों के पाप समाप्त हो जाते हैं।

2.    गंगा स्नान और विश्वनाथ मंदिर दर्शन का संयोजन विशेष फलदायी है।

3.    सावन और महाशिवरात्रि पर यहां की पूजा का महत्व सौ गुना बढ़ जाता है।


मंदिर का इतिहास – विनाश और पुनर्निर्माण की गाथा

 प्राचीन काल:

  • काशी विश्वनाथ मंदिर का मूल स्वरूप हजारों वर्ष पुराना है।
  • इसे कई बार विध्वंस किया गया, और हर बार श्रद्धालुओं ने इसे फिर से खड़ा किया।

 मुगल काल:

  • 1194 ई. में मोहम्मद गौरी के सेनापति ने मंदिर को नष्ट किया।
  • 1669 ई. में औरंगजेब ने मंदिर को फिर से तोड़वा कर वहां ज्ञानवापी मस्जिद बनवाई।

मराठा काल:

  • 1780 में महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने वर्तमान मंदिर का पुनर्निर्माण कराया।
  • इसके बाद महाराजा रणजीत सिंह ने मंदिर के शिखर पर सोने का छत्र चढ़वाया।

 आधुनिक विकास:

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर परियोजना शुरू हुई।
  • अब यह मंदिर संकुल विश्व स्तर की आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक धरोहर बन चुका है।

 मंदिर की वास्तु विशेषताएं

  • मंदिर का मुख्य गर्भगृह श्री विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग को समर्पित है।
  • यहां पर आनंदवन, व्यास कूप, काशी खंड आदि तीर्थ भी स्थित हैं।
  • गर्भगृह में एक विशेष ऊर्जा अनुभव होती है, जो आत्मा को शांति देती है।

 पूजन विधि और दर्शनों की परंपरा

  • भक्त शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, धतूरा अर्पित करते हैं।
  • यहां “मुक्ति भवननामक स्थान है, जहां लोग मृत्यु से पूर्व रुकते हैं ताकि उन्हें मोक्ष मिले।
  • प्रतिदिन चार आरतियाँ होती हैं – मंगला, भोग, संध्या और शयन आरती।

पुराणों में काशी और विश्वनाथ का वर्णन

स्कंद पुराण के “काशी खंड” में कहा गया है:

"अविमुक्तं क्षेत्रं नाम काशीति प्रकीर्तितम्।
सर्वतीर्थमयं पुण्यं मुक्तिदं सर्वकामदम्॥"

अर्थात: “यह काशी नगरी ‘अविमुक्त क्षेत्र’ है, जहां साक्षात भगवान शिव विराजते हैं। यह स्थल सभी तीर्थों से श्रेष्ठ और मोक्षदायिनी है।”


 भक्तों के अनुभव और श्रद्धा

  • लाखों श्रद्धालु प्रतिवर्ष यहां आकर शिवलिंग के दर्शन करते हैं।
  • विशेष रूप से महाशिवरात्रि, श्रावण मास, और कवि कुम्भ मेला में यहां श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है।
  • मंदिर परिसर में भजन, कीर्तन, और वेद पाठ की गूंज मन को आध्यात्मिक शांति से भर देती है।

 कैसे पहुंचे काशी विश्वनाथ मंदिर?

  • रेल: वाराणसी जंक्शन से मंदिर की दूरी लगभग 5 किमी है।
  • हवाई मार्ग: लाल बहादुर शास्त्री एयरपोर्ट (बाबतपुर) से टैक्सी उपलब्ध है।
  • स्थानीय परिवहन: ऑटो, रिक्शा और ई-रिक्शा से आसानी से पहुंच सकते हैं।

 विश्वनाथ कॉरिडोर – एक भव्य अध्याय

  • 2021 में उद्घाटन हुआ इस कॉरिडोर का
  • यह मंदिर और गंगा घाट को जोड़ता है
  • सुंदरीकरण, सुविधा और सांस्कृतिक जागरूकता का केंद्र बना है

काशी न केवल भगवान शिव की नगरी है, बल्कि यह सनातन धर्म की चेतना का केंद्र भी है। यहां भोलेनाथ को विश्वनाथ इसलिए कहा जाता है क्योंकि वे त्रिलोकों के स्वामी हैं। काशी विश्वनाथ मंदिर एक ऐसा स्थान है जहां श्रद्धा, भक्ति और मोक्ष तीनों का संगम होता है।

जो भी व्यक्ति यहां आता है, वह केवल दर्शन नहीं करता, बल्कि एक आध्यात्मिक ऊर्जा को अपने भीतर महसूस करता है।