इस तरह के बने मकान में होते हैं कई तरह के वास्तु दोष, जानिए वास्तु के नियम

कुछ मकान वास्तु के नियमों के अनुसार नहीं बने होते, जिससे विभिन्न प्रकार के वास्तु दोष उत्पन्न होते हैं। जानिए किस प्रकार के मकान में वास्तु दोष होते हैं और इन्हें कैसे सुधारा जा सकता है।

इस तरह के बने मकान में होते हैं कई तरह के वास्तु दोष, जानिए वास्तु के नियम

वास्तु शास्त्र एक प्राचीन भारतीय शास्त्र है जो हमारे घर और आसपास के वातावरण के सही संतुलन को बनाए रखने की दिशा में मार्गदर्शन करता है। यह शास्त्र इस बात पर ध्यान केंद्रित करता है कि घर की दिशा, निर्माण, और संरचना कैसी होनी चाहिए ताकि वहां रहने वालों के जीवन में सुख, समृद्धि और शांति बनी रहे। लेकिन यदि घर का निर्माण वास्तु के नियमों के अनुसार नहीं होता, तो वहां विभिन्न प्रकार के वास्तु दोष उत्पन्न हो सकते हैं, जो जीवन को प्रभावित करते हैं।

1. घर की दिशा और मुख्य द्वार

वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का मुख्य द्वार महत्वपूर्ण होता है। यदि यह द्वार सही दिशा में नहीं है, तो घर में नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश कर सकती है। मुख्य द्वार को हमेशा उत्तर, पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए। पश्चिम या दक्षिण दिशा में मुख्य द्वार होने से धन की हानि और परिवार में तनाव हो सकता है।

2. सोने के कमरे की दिशा

सोने के कमरे की दिशा भी वास्तु दोष का कारण बन सकती है। यदि बेडरूम का स्थान दक्षिण-पश्चिम दिशा में नहीं है, तो यह व्यक्ति की सेहत और रिश्तों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। साथ ही, बेड को हमेशा दक्षिण-पूर्व दिशा में रखें, ताकि नींद में कोई रुकावट न हो और ऊर्जा का संतुलन बना रहे।

3. बाथरूम और शौचालय की स्थिति

बाथरूम और शौचालय को हमेशा घर के उत्तर-पूर्व में नहीं बनाना चाहिए। यह वास्तु दोष पैदा करता है। बाथरूम का स्थान हमेशा घर के दक्षिण-पश्चिम या पश्चिम दिशा में होना चाहिए। अगर ये स्थान गलत दिशा में होते हैं, तो यह मानसिक तनाव और धन की हानि का कारण बन सकते हैं।

4. रसोईघर का स्थान

वास्तु के अनुसार रसोईघर का स्थान भी घर के वास्तु दोष में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। रसोईघर को हमेशा आग्नेय कोण (दक्षिण-पूर्व) में बनाना चाहिए। अगर रसोईघर दक्षिण-पश्चिम या उत्तर-पश्चिम दिशा में होता है, तो यह परिवार में कलह और स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है।

5. घर की छत का आकार

घर की छत का आकार भी वास्तु शास्त्र में महत्वपूर्ण होता है। यदि घर की छत का आकार असमान या त्रिकोणीय होता है, तो यह घर में नकारात्मक ऊर्जा का कारण बन सकता है। वास्तु के अनुसार, घर की छत का आकार चौकोर या आयताकार होना चाहिए, ताकि वहां सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहे।

6. सार्वजनिक स्थान और ऊंचाई

घर के सार्वजनिक स्थानों (जैसे लिविंग रूम) और ऊंचाई का भी वास्तु शास्त्र में विशेष महत्व है। यह स्थान घर के उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए और उसकी ऊंचाई भी सही होनी चाहिए। यदि यह स्थान और ऊंचाई गलत होती है, तो घर में समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं, जैसे मानसिक शांति की कमी और पारिवारिक विवाद।

वास्तु दोषों के उपाय

वास्तु दोषों को सुधारने के लिए कई उपाय हैं, जिनका पालन करके घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह सुनिश्चित किया जा सकता है। कुछ सामान्य उपाय निम्नलिखित हैं:

1.    कांच के टुकड़ों का प्रयोग: कांच के छोटे-छोटे टुकड़े घर में न रखें, क्योंकि ये नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करते हैं।

2.    शुद्ध घी का दीपक: रात में शुद्ध घी का दीपक घर के किसी भी स्थान पर रखें, इससे घर में शांति और सकारात्मकता बनी रहती है।

3.    मकान की सफाई: घर की नियमित सफाई करें और उसकी दिशा के अनुसार संतुलन बनाए रखें। कचरा और बिखरी चीजें न रखें, क्योंकि इससे नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।

4.    वास्तु-चक्र: घर में वास्तु-चक्र या स्वास्तिक चिन्ह का प्रयोग करें, जिससे घर में सुख-शांति और समृद्धि आए।

5.    तुलसी का पौधा: घर में तुलसी का पौधा लगाना भी वास्तु के अनुसार लाभकारी माना जाता है, क्योंकि यह सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत होता है।

निष्कर्ष

वास्तु शास्त्र का पालन करना घर में सुख-समृद्धि और शांति बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है। घर में वास्तु दोष होने से न केवल मानसिक शांति की कमी होती है, बल्कि यह पारिवारिक जीवन और वित्तीय स्थिति पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। सही दिशा में निर्माण और वास्तु के नियमों का पालन करके इन दोषों को कम किया जा सकता है और जीवन को बेहतर बनाया जा सकता है।


Disclaimer: यह लेख केवल सूचना उद्देश्यों के लिए है। कृपया व्यक्तिगत स्थिति के अनुसार विशेषज्ञ से सलाह लें।

 

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