धूमावती जयंती 2025: एक रहस्यमयी देवी की उपासना का शुभ अवसर
धूमावती जयंती 2025 की तिथि, पूजा विधि, व्रत का महत्व और देवी धूमावती की पौराणिक कथा जानें। ये पर्व आत्मज्ञान और साधना का अवसर है।

भारतवर्ष में देवी की उपासना के अनेक रूप हैं, जिनमें दस महाविद्याएं विशेष स्थान रखती हैं। इन महाविद्याओं में से एक देवी हैं – धूमावती माता, जो त्याग, वैराग्य और रहस्य की प्रतीक मानी जाती हैं। उनका स्वरूप भले ही उग्र और भयानक प्रतीत होता हो, लेकिन उनका महत्व अध्यात्म, साधना और आत्मबोध से जुड़ा हुआ है। हर साल ज्येष्ठ शुक्ल अष्टमी के दिन धूमावती जयंती मनाई जाती है। इस दिन साधक देवी की विशेष पूजा करते हैं और तांत्रिक साधना के लिए यह तिथि अत्यंत शुभ मानी जाती है।
वर्ष 2025 में धूमावती जयंती 3 जून, मंगलवार को मनाई जाएगी।
देवी धूमावती कौन हैं?
धूमावती देवी दस महाविद्याओं में सातवें स्थान पर आती हैं। वे महाकाली का ही एक उग्र स्वरूप मानी जाती हैं। उनका वर्णन शास्त्रों में एक वृद्धा, विधवा और धुएं के समान रंग वाली देवी के रूप में किया गया है। उनके हाथों में झंडा और पात्र होता है, और उनका वाहन कौवा है। वे सदा अकेली रहती हैं, जिसका संकेत है कि यह देवी संसारिक बंधनों से परे हैं और एकात्मता की प्रतीक हैं।
देवी धूमावती को विधवा रूप में पूजा जाता है, लेकिन यह विधवा प्रतीकात्मक है – वह इस बात को दर्शाता है कि जब साधक संसारिक सुखों और रिश्तों से ऊपर उठता है, तब ही उसे असली ज्ञान की प्राप्ति होती है। यह देवी हमें सिखाती हैं कि दुःख, अकेलापन और जीवन की कठोर सच्चाइयां भी आध्यात्मिकता की ओर ले जा सकती हैं।
धूमावती जयंती की पौराणिक कथा
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, एक बार माता पार्वती ने भगवान शिव से भोजन की मांग की। शिव जी तप में लीन थे और उन्होंने पार्वती को प्रतीक्षा करने के लिए कहा। अत्यधिक भूख और क्रोध के कारण माता पार्वती ने शिव जी को ही निगल लिया। लेकिन इस घटना से उनका स्वरूप विकृत हो गया और वह धुएं से युक्त हो गईं। जब शिव जी ने अपनी मायाशक्ति से खुद को बाहर निकाला, तो उन्होंने पार्वती से कहा कि अब तुम धूमावती कहलाओगी।
तब से माता धूमावती को जीवन की कटु सच्चाइयों, वैराग्य, दुःख और आध्यात्मिक जागरण की देवी माना जाता है।
पूजा विधि
धूमावती माता की पूजा बहुत नियम और संयम से की जाती है। यह देवी गृहस्थ जीवन की देवी नहीं हैं, अतः उनकी पूजा अधिकतर साधक, सन्यासी या तांत्रिक करते हैं।
पूजा के लिए आवश्यक सामग्री:
- सफेद या ग्रे वस्त्र
- धूप, दीप, कपूर
- सरसों का तेल
- जौ, तिल, धतूरा
- चंदन, केसर
- काला वस्त्र या कपड़ा
- कौवे को अन्न देना
पूजा विधि:
1. प्रातः काल स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें।
2. पूजन स्थल को स्वच्छ कर देवी का चित्र या प्रतीक स्थापित करें।
3. धूप-दीप जलाएं और मंत्रों का जाप करें।
4. देवी को तिल, जौ, धतूरा अर्पित करें।
5. “ॐ धूं धूं धूमावत्यै नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें।
6. हवन में राई, सरसों, नमक आदि से आहुति दें।
विशेष तांत्रिक साधना
धूमावती जयंती पर कुछ विशेष साधनाएं की जाती हैं, जिन्हें केवल योग्य साधक ही करते हैं। यह साधनाएं शत्रुनाश, ऋण मुक्ति, दरिद्रता निवारण और आध्यात्मिक उन्नति के लिए की जाती हैं।
साधक एकांत में मौन व्रत रखकर साधना करते हैं। तांत्रिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन की गई साधना शीघ्र फलदायी होती है।
शुभ मुहूर्त (2025)
- अष्टमी तिथि प्रारंभ: 3 जून 2025 को प्रातः 04:37 बजे
- अष्टमी तिथि समाप्त: 4 जून 2025 को प्रातः 06:05 बजे
- पूजा का श्रेष्ठ समय: 3 जून को सुबह 6 बजे से दोपहर 12 बजे तक
व्रत का महत्व
धूमावती जयंती के दिन उपवास रखना विशेष पुण्यकारी माना जाता है। जो भक्त इस दिन व्रत रखते हैं, उन्हें मानसिक शांति, आध्यात्मिक बल और नकारात्मक शक्तियों से रक्षा का आशीर्वाद मिलता है।
क्या करें और क्या न करें?
करें:
- मौन व्रत रखें
- कौवों को भोजन दें
- गरीबों को वस्त्र और अन्न का दान करें
- एकांत में साधना करें
न करें:
- देवी की स्थायी स्थापना न करें
- शादीशुदा स्त्रियाँ विशेष रूप से ध्यान रखें, देवी की पूजा सीमित रूप से करें
- शोर-शराबा, मनोरंजन से दूर रहें
- अन्न का अपव्यय न करें
आध्यात्मिक संदेश
धूमावती देवी हमें यह सिखाती हैं कि जीवन के कटु अनुभव भी अध्यात्म की ओर ले जाने वाले मार्ग हैं। दुःख, त्याग और अकेलापन – ये सभी मनुष्य को भीतर झांकने और आत्मा से जुड़ने का अवसर प्रदान करते हैं। उनका भयावह स्वरूप हमें डराने के लिए नहीं, बल्कि जीवन के सत्य से परिचित कराने के लिए है।
धूमावती जयंती एक विशेष तिथि है, जो साधकों को आत्मबोध, शांति और शत्रुनाश की शक्ति प्रदान करती है। इस दिन विधिपूर्वक पूजा और साधना करने से जीवन की समस्याएं दूर होती हैं और मन को स्थिरता प्राप्त होती है। देवी धूमावती भले ही रहस्यमयी और भयानक प्रतीत हों, लेकिन उनका उद्देश्य केवल कल्याण और मार्गदर्शन देना है।
Disclaimer
यह लेख केवल धार्मिक और सांस्कृतिक जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से लिखा गया है। पाठकों से अनुरोध है कि वे किसी भी पूजा विधि को अपनाने से पहले अपने गुरु, आचार्य या धार्मिक विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लें।