प्यार तो है, फिर भी एक घर में नहीं रहते LAT कपल्स! भारत में बढ़ रहा Living Apart Together का ट्रेंड

भारत में बढ़ रहा LAT (Living Apart Together) का ट्रेंड, जहां कपल्स प्यार में होते हुए भी एक घर में नहीं रहते। जानिए इसके पीछे के कारण, फायदे-नुकसान और सामाजिक सोच।

प्यार तो है, फिर भी एक घर में नहीं रहते LAT कपल्स! भारत में बढ़ रहा Living Apart Together का ट्रेंड

 

एक समय था जब प्यार का मतलब साथ रहना, एक घर, एक छत और एक दिनचर्या साझा करना माना जाता था। लेकिन समय के साथ रिश्तों की परिभाषाएं बदल रही हैं। अब ऐसे भी कपल्स सामने आ रहे हैं जो एक-दूसरे से बेहद प्यार करते हैं, रिश्ते में हैं, लेकिन फिर भी अलग-अलग घरों में रहते हैं। इस ट्रेंड को कहा जाता है – LAT (Living Apart Together)

पश्चिमी देशों में यह चलन वर्षों से देखा जा रहा है, लेकिन अब भारत जैसे पारंपरिक समाज में भी यह विचारधारा धीरे-धीरे स्वीकार की जा रही है। आइए जानते हैं कि आखिर LAT रिलेशनशिप क्या है, क्यों इसका ट्रेंड भारत में बढ़ रहा है, इसके फायदे-नुकसान क्या हैं, और समाज इसे कैसे देख रहा है।


 क्या है LAT – Living Apart Together?

LAT का मतलब है कि दो लोग जो एक रोमांटिक रिश्ते में हैं, वो एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं, लेकिन साथ नहीं रहते। वे शादीशुदा हो सकते हैं या नहीं, लेकिन वे जानबूझकर अलग-अलग घरों में रहने का चुनाव करते हैं। यह किसी मजबूरी के कारण नहीं बल्कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता, करियर प्राथमिकताओं या मानसिक संतुलन बनाए रखने के लिए किया गया चुनाव होता है।


भारत में क्यों बढ़ रहा है LAT का ट्रेंड?

भारत में जहां रिश्तों को अक्सर सामाजिक संरचना और परिवार की सहमति से जोड़ा जाता है, वहां LAT का ट्रेंड एक बड़ा बदलाव है। इसके पीछे कई कारण हैं:

1. व्यक्तिगत स्वतंत्रता की तलाश

आज की युवा पीढ़ी अपने स्पेस को लेकर सजग है। वे चाहते हैं कि प्यार हो, लेकिन उनकी व्यक्तिगत पहचान और जीवनशैली पर इसका असर न पड़े।

2. करियर प्राथमिकताएं

कई बार कपल्स अलग-अलग शहरों में काम करते हैं और वे अपने करियर को प्राथमिकता देते हुए साथ नहीं रह पाते, फिर भी रिश्ते को निभाते हैं।

3. भावनात्मक संतुलन

कुछ लोग मानते हैं कि साथ रहने से छोटे-छोटे झगड़े या टकराव बढ़ जाते हैं। वे दूरी में अपनापन और समझदारी को बेहतर पाते हैं।

4. पारिवारिक दबाव से बचाव

कई बार शादी की उम्मीद या दबाव से बचने के लिए कपल्स LAT रिलेशनशिप चुनते हैं ताकि बिना सामाजिक प्रतिबंध के रिश्ता चल सके।


 डेटा और रिसर्च क्या कहते हैं?

एक हालिया सर्वे के अनुसार भारत के महानगरों में रहने वाले युवाओं में से करीब 12% कपल्स LAT रिलेशनशिप को अपनाने लगे हैं। इनमें से अधिकतर लोग 25 से 40 वर्ष के बीच के हैं।

पश्चिमी देशों में यह आंकड़ा कहीं अधिक है। उदाहरण के लिए, फ्रांस, नीदरलैंड और कनाडा में 25-30% कपल्स LAT को प्राथमिकता देते हैं। भारत में ये संख्या अभी भले ही कम हो, लेकिन रफ्तार तेज है।


 LAT कपल्स की सोच कैसी होती है?

LAT कपल्स के अनुसार—

  • "रिश्ता तभी मजबूत रहता है जब उसे सांस लेने की जगह मिले।"
  • "मिलना खास हो, तो बिछड़ना भी जरूरी है।"
  • "मैं अपने पार्टनर से प्यार करता हूं, लेकिन अपनी लाइफ के कुछ हिस्से बस मेरे अपने हैं।"

यह सोच पारंपरिक रिश्तों से बिल्कुल अलग है, जहां साथ रहना ही प्यार का प्रमाण माना जाता है।


 LAT के फायदे

1. स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता

दोनों व्यक्ति अपने-अपने फैसले लेने के लिए स्वतंत्र होते हैं।

2. स्पेस और समय का संतुलन

व्यक्तिगत समय और रिश्ते दोनों में संतुलन बना रहता है।

3. अलगाव से बचाव

कई बार रिश्तों में अत्यधिक घनिष्ठता अलगाव की वजह बनती है। LAT में दूरी रिश्ते को तरोताजा रखती है।

4. करियर और परिवार में संतुलन

दोनों पार्टनर अपने करियर और व्यक्तिगत दायित्वों को बिना किसी त्याग के निभा सकते हैं।


 LAT के नुकसान

1. भावनात्मक दूरी का खतरा

शारीरिक दूरी कभी-कभी भावनात्मक दूरी भी ला सकती है।

2. समाज की स्वीकृति नहीं

भारत जैसे समाज में LAT अभी भी “अजीब” माना जाता है। परिवारों को इसे समझाना मुश्किल होता है।

3. संकट के समय सहयोग की कमी

बीमारी, इमरजेंसी या भावनात्मक सहारे के समय जब पार्टनर पास नहीं हो, तो स्थिति कठिन हो सकती है।


 परंपरागत सोच बनाम नई सोच

भारत में रिश्तों को "सात फेरों" और "एक छत" से जोड़कर देखा जाता है। इसलिए जब कोई कपल साथ रहते हुए भी अलग-अलग घर में रहता है, तो समाज में इसे आसानी से स्वीकार नहीं किया जाता।

लेकिन नई पीढ़ी रिश्तों को अधिकार, भावनात्मक आज़ादी और सम्मान की नजर से देखने लगी है। उनके लिए प्यार का मतलब साथ रहना नहीं, बल्कि साथ निभाना है — चाहे वह एक घर में हो या दो।


 क्या कहते हैं मनोविज्ञानी?

विवाह और संबंध विशेषज्ञों के अनुसार LAT रिश्ते “मॉडर्न लव” की एक परिपक्व अवस्था हैं। इसके लिए भावनात्मक परिपक्वता, पारदर्शिता और आपसी समझ बेहद जरूरी है।

“LAT रिलेशनशिप सही व्यक्ति के साथ हो तो यह रिश्तों को और भी मजबूत कर सकता है, लेकिन यह सभी के लिए नहीं है। इसे केवल ट्रेंड के रूप में नहीं अपनाना चाहिए।” – डॉ. श्रेया मल्होत्रा (काउंसलर)


 सोशल मीडिया और LAT ट्रेंड

सोशल मीडिया ने भी LAT ट्रेंड को तेजी से फैलाया है। इंस्टाग्राम, यूट्यूब और पॉडकास्ट पर कई कपल्स अपने LAT रिलेशनशिप के अनुभव साझा कर रहे हैं। इससे एक नया संवाद शुरू हो रहा है, जिससे नए लोग इस विचारधारा के बारे में जान रहे हैं।


 क्या यह ट्रेंड लंबे समय तक टिकेगा?

LAT ट्रेंड न केवल आज के रिश्तों को दर्शाता है, बल्कि यह भविष्य की ओर भी संकेत करता है — जहां रिश्ते बंधन नहीं बल्कि समझदारी का रूप लेंगे।

शायद आने वाले समय में LAT भी उतना ही सामान्य हो जाएगा जितना लिव-इन रिलेशनशिप या वर्क फ्रॉम होम। यह जरूर कहा जा सकता है कि रिश्तों का अर्थ अब केवल "साथ रहना" नहीं रह गया है, बल्कि "साथ चलना" हो गया है।

LAT रिलेशनशिप इस बात का प्रतीक हैं कि रिश्तों में बदलाव ज़रूरी है। हर रिश्ता अलग होता है और उसे निभाने का तरीका भी अलग हो सकता है। अगर दो लोग प्यार में हैं और एक-दूसरे को समझते हैं, तो वे साथ रहकर भी खुश रह सकते हैं और अलग रहकर भी।

हो सकता है यह विचार हर किसी के लिए न हो, लेकिन यह सोच जरूर बन रही है कि प्यार अब शर्तों का मोहताज नहीं रहा।