मोहनजोदड़ो: सिंधु घाटी की प्राचीन सभ्यता का रहस्य
4500 साल पुराना मोहनजोदड़ो शहर सिंधु घाटी सभ्यता की अद्भुत योजना, वास्तुकला और संस्कृति का प्रतीक है। जानिए इसके इतिहास और रहस्य।

मोहनजोदड़ो: सिंधु घाटी सभ्यता की अद्भुत नगरी
जब हम प्राचीन सभ्यताओं की बात करते हैं, तो मिस्र, मेसोपोटामिया और चीन का ज़िक्र आम है। लेकिन भारत की मिट्टी में भी एक ऐसी ही प्राचीन सभ्यता ने जन्म लिया था – सिंधु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilization), जिसकी एक प्रमुख नगरी थी मोहनजोदड़ो। यह सिर्फ एक प्राचीन शहर नहीं, बल्कि एक अद्भुत योजना, वास्तुकला, संस्कृति और प्रगति का प्रतीक है।
खोज की कहानी
मोहनजोदड़ो की खोज 1920 के दशक में हुई थी। 1922 में आर. डी. बनर्जी नामक पुरातत्वविद् ने पाकिस्तान के सिंध प्रांत में इस शहर के अवशेषों को खोजा। यह स्थान कराची से लगभग 500 किमी उत्तर में स्थित है। सिंधु नदी के पास स्थित यह शहर आज भी इतिहासकारों, पुरातत्वविदों और शोधकर्ताओं के लिए रहस्य का विषय बना हुआ है।
शहर की योजना और वास्तुकला
मोहनजोदड़ो की सबसे बड़ी विशेषता उसकी नगरीय योजना (Urban Planning) है। जब आज के आधुनिक शहर ट्रैफिक जाम और अव्यवस्था से जूझते हैं, तब 4500 साल पहले बना यह शहर एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करता है।
- सड़कें और गलियाँ: पूरी नगरी समानान्तर (grid pattern) में बसी थी। चौड़ी सड़कों और संकरी गलियों के बीच स्पष्ट अंतर था।
- ईंटों का प्रयोग: यहाँ पक्की ईंटों का प्रयोग हुआ था, जो आज भी टिकाऊ हैं।
- जल निकासी प्रणाली: हर घर से जुड़ी नाली व्यवस्था (Drainage System) थी, जिससे पानी बहकर मुख्य नालों में जाता था। यह प्रणाली आज भी इंजीनियरिंग का अद्भुत उदाहरण मानी जाती है।
ग्रेट बाथ (महास्नानागार)
मोहनजोदड़ो की सबसे प्रसिद्ध संरचना है – ग्रेट बाथ। यह एक विशाल स्नानागार था, जो ईंटों से बना था और वाटरप्रूफ प्लास्टर से लेपित था। इसमें सीढ़ियाँ थीं और पानी को भरने और निकालने की तकनीकी व्यवस्था थी। यह स्थान संभवतः धार्मिक अनुष्ठानों के लिए उपयोग किया जाता था।
घरों की बनावट
यहाँ के घर दो या कभी-कभी तीन मंजिला होते थे। हर घर में एक या एक से अधिक कमरे, रसोई, स्नानघर और आंगन होता था। कुछ घरों में कुएँ (wells) भी पाए गए हैं, जो दर्शाते हैं कि यहाँ के लोग स्वच्छ जल के महत्व को समझते थे।
व्यापार और अर्थव्यवस्था
मोहनजोदड़ो के निवासी व्यापार में निपुण थे। उन्हें धातु, मणिकांचन, तांबा, मिट्टी के बर्तन, कपड़ा, और सील बनाने की कला आती थी।
- सील (seals): यहाँ हजारों की संख्या में खुदाई में सीलें मिली हैं, जिनमें पशुओं की आकृतियाँ और अभी तक न पढ़ी जा सकी लिपि (Indus Script) खुदी हुई है।
- विनिमय प्रणाली: अभी तक कोई मुद्रा नहीं मिली है, इसलिए अनुमान लगाया जाता है कि व्यापार विनिमय प्रणाली (Barter System) के माध्यम से होता था।
लिपि और भाषा
सिंधु सभ्यता की लिपि आज तक एक रहस्य बनी हुई है। लगभग 400 प्रतीकों वाली इस लिपि को न पढ़ा जा सका है, जिससे हमें इस सभ्यता के धर्म, राजनीति, और सामाजिक जीवन की जानकारी पूरी तरह नहीं मिल पाई है।
समाज और संस्कृति
मोहनजोदड़ो के लोग स्वच्छता, सुंदरता और कला के प्रति सजग थे। खुदाई में महिलाओं के श्रृंगार सामग्री, आभूषण, दर्पण, और मिट्टी की मूर्तियाँ मिली हैं।
- प्रसिद्ध "नर्तकी की मूर्ति" (Dancing Girl) तांबे की बनी हुई है, जो इस सभ्यता की कला में प्रवीणता को दर्शाती है।
- पुजारी राजा (Priest King) की मूर्ति भी अत्यंत प्रसिद्ध है।
पतन के कारण
मोहनजोदड़ो का पतन एक बड़ा रहस्य है। कई सिद्धांत सामने आए हैं:
1. सिंधु नदी की धारा बदलना – जिससे बाढ़ आई या शहर जल स्रोत से कट गया।
2. प्राकृतिक आपदा – जैसे भूकंप या सूखा।
3. विदेशी आक्रमण – आर्यों के आगमन की थ्योरी को लेकर काफी बहस है।
4. आंतरिक पतन – जनसंख्या वृद्धि और संसाधनों की कमी।
हालांकि, इनमें से किसी एक सिद्धांत पर आज तक पूर्ण सहमति नहीं बनी है।
आज का मोहनजोदड़ो
आज यह स्थान यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल (UNESCO World Heritage Site) के रूप में संरक्षित है, लेकिन समय और पर्यावरणीय क्षरण ने इसके अवशेषों को नुकसान पहुँचाया है।
- पाकिस्तान सरकार और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों द्वारा इसके संरक्षण के प्रयास किए जा रहे हैं।
- यह पर्यटकों, इतिहास प्रेमियों और शोधकर्ताओं के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
निष्कर्ष
मोहनजोदड़ो केवल ईंटों और दीवारों का ढांचा नहीं है, बल्कि यह एक ऐसी सभ्यता का प्रतीक है जिसने 4500 साल पहले ही मानव समाज को विकसित शहरी जीवन, सफाई, जल प्रबंधन और वास्तुशिल्प ज्ञान के सर्वोत्तम रूप दिए। इसके अवशेष आज भी हमें प्रेरणा देते हैं कि मानव सभ्यता कितनी उन्नत हो सकती है – चाहे वह किसी भी युग की हो।