Mohini Ekadashi Vrat: समुद्र मंथन से जुड़ी है मोहिनी एकादशी की कहानी, जानिए क्यों श्रीहरि बने थे सुंदरी

मोहिनी एकादशी का व्रत समुद्र मंथन और भगवान विष्णु के मोहिनी रूप से जुड़ा है। जानिए व्रत की पौराणिक कथा, विधि, तिथि, शुभ मुहूर्त और इसके लाभ।

Mohini Ekadashi Vrat: समुद्र मंथन से जुड़ी है मोहिनी एकादशी की कहानी, जानिए क्यों श्रीहरि बने थे सुंदरी

भारतवर्ष में एकादशी व्रतों का विशेष महत्व है, जिनमें से एक है मोहिनी एकादशी। यह व्रत वैशाख शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को आता है और यह न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि पौराणिक कथाओं के संदर्भ में भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस एकादशी का संबंध सीधे समुद्र मंथन की उस प्रसिद्ध घटना से जुड़ा है, जिसमें भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर असुरों को अमृत से वंचित कर देवताओं को विजयी बनाया था।

हम जानेंगे:

  • मोहिनी एकादशी की पौराणिक कथा
  • व्रत की विधि और नियम
  • व्रत का महत्व और लाभ
  • शुभ मुहूर्त और तिथि
  • FAQs

मोहिनी एकादशी की पौराणिक कथा: जब श्रीहरि बने सुंदरी

समुद्र मंथन के दौरान देवताओं और दानवों ने मिलकर मंदराचल पर्वत और वासुकी नाग की मदद से समुद्र का मंथन किया। मंथन से अनेक दिव्य वस्तुएं निकलीं, जैसे कामधेनु, ऐरावत हाथी, लक्ष्मी माता और अंत में अमृत कलश।

अमृत को पाने के लिए देवता और असुरों में संघर्ष छिड़ गया। असुर अमृत पीकर अमर होना चाहते थे, जिससे वे पुनः संसार पर अधिकार कर सकें। यह देख देवता घबरा गए और भगवान विष्णु से सहायता मांगी।

तब श्रीहरि ने "मोहिनी" नामक एक अत्यंत रूपवती स्त्री का रूप धारण किया। उनके मोहक रूप से असुर मोहित हो गए और अमृत बांटने की जिम्मेदारी मोहिनी को दे दी। मोहिनी ने चतुराई से अमृत देवताओं को पिला दिया और असुरों को वंचित कर दिया।

यही कारण है कि इस एकादशी को मोहिनी एकादशी कहा जाता है — उस रूप की याद में जिसमें भगवान विष्णु ने संसार की भलाई के लिए स्त्री रूप में अवतार लिया।


मोहिनी एकादशी व्रत की विधि (Vrat Vidhi)

मोहिनी एकादशी का व्रत श्रद्धा, भक्ति और नियमों से किया जाए तो यह अत्यंत फलदायक होता है। इसकी व्रत विधि इस प्रकार है:

1. व्रत की पूर्व संध्या (दशमी तिथि)

  • एक दिन पूर्व सात्विक भोजन करें।
  • रात्रि में ब्रह्मचर्य का पालन करें।
  • मन और शरीर को शुद्ध रखें।

2. एकादशी तिथि पर

  • प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर व्रत का संकल्प लें।
  • भगवान विष्णु की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराएं।
  • पीले वस्त्र पहनाकर तुलसी, फूल, धूप, दीप से पूजन करें।
  • विष्णु सहस्रनाम या विष्णु चालीसा का पाठ करें।
  • फलाहार करें या निर्जला उपवास रखें।

3. द्वादशी तिथि पर पारण

  • अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण करें।
  • ब्राह्मण को भोजन करवाकर दक्षिणा दें।

मोहिनी एकादशी व्रत का महत्व

मोहिनी एकादशी केवल पौराणिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक रूप से भी अति महत्वपूर्ण मानी जाती है।

1. पापों से मुक्ति

जो व्यक्ति मोहिनी एकादशी का विधिवत व्रत करता है, वह अपने पूर्व जन्मों के पापों से भी मुक्त हो सकता है।

2. मोह और माया से छुटकारा

मोहिनी रूप की स्मृति में किया गया यह व्रत व्यक्ति को भौतिक आकर्षणों से ऊपर उठने की प्रेरणा देता है।

3. सांसारिक कष्टों से राहत

व्रत रखने वाले के जीवन में सुख, समृद्धि और मानसिक शांति आती है।

4. मुक्ति की प्राप्ति

विष्णु पुराण के अनुसार, यह व्रत व्यक्ति को मोक्ष की ओर अग्रसर करता है।


मोहिनी एकादशी 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त

  • मोहिनी एकादशी व्रत तिथि: गुरुवार, 8 मई 2025

  • एकादशी तिथि प्रारंभ: 7 मई 2025 को सुबह 10:19 बजे

  • एकादशी तिथि समाप्त: 8 मई 2025 को दोपहर 12:29 बजे

  • पारण (व्रत खोलने) का समय: 9 मई 2025 को सुबह 5:34 बजे से 8:16 बजे तक

  • द्वादशी समाप्ति: 9 मई 2025 को दोपहर 2:56 बजे


अन्य मान्यताएं और धार्मिक संदर्भ

  • यह व्रत मुख्यतः वैष्णव संप्रदाय के लोगों द्वारा बड़े उत्साह से किया जाता है।
  • इसे अमृत प्राप्ति की एकादशी भी कहा जाता है क्योंकि इसका संबंध अमृत वितरण से है।
  • कई भक्त इसे रमणी एकादशी भी कहते हैं।

व्रत के दौरान किन बातों का ध्यान रखें?

1.    लहसुन, प्याज, मांस, मदिरा आदि का सेवन न करें।

2.    क्रोध, छल, झूठ और किसी का अपमान करने से बचें।

3.    व्रत के दौरान मोबाइल और टीवी से दूरी बनाकर भक्ति में ध्यान लगाएं।

4.    जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और दक्षिणा का दान करें।


मोहिनी एकादशी व्रत से जुड़ी सामान्य जिज्ञासाएं

Q. क्या महिलाएं यह व्रत रख सकती हैं?
A.
हां, यह व्रत पुरुष और महिलाएं दोनों रख सकते हैं। विवाहित स्त्रियों के लिए यह व्रत सौभाग्य और सुख-शांति प्रदान करता है।

Q. क्या यह व्रत निर्जला रखना अनिवार्य है?
A.
नहीं, आप फलाहार या जल-आहार लेकर भी व्रत रख सकते हैं। लेकिन पूरी श्रद्धा के साथ करना जरूरी है।

Q. क्या इस दिन विष्णु मंदिर जाना जरूरी है?
A.
अगर संभव हो तो अवश्य जाएं, वरना घर पर ही भक्ति भाव से पूजन करें।


मोहिनी एकादशी — मोह से मोक्ष की ओर

मोहिनी एकादशी का व्रत केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक यात्रा है, जो हमें मोह-माया से ऊपर उठकर प्रभु की भक्ति में लीन होने का अवसर देती है। श्रीहरि के मोहिनी रूप की स्मृति में किया गया यह व्रत न सिर्फ पापों का नाश करता है, बल्कि जीवन में सद्गति और मोक्ष की दिशा भी खोलता है।

आप भी इस एकादशी पर व्रत रखकर श्रीहरि विष्णु की कृपा प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन को शुभता, सात्विकता और आध्यात्मिक उन्नति की ओर ले जा सकते हैं।