नवरात्रि नवमी व्रत विधि: कन्या पूजन, आरती, भोग और मंत्र पूरी जानकारी हिंदी में | kaise kare navmi vrat
जानिए नवरात्रि नवमी के दिन व्रत और कन्या पूजन कैसे करें। माँ सिद्धिदात्री की पूजा विधि, आरती, भोग की रेसिपी और मंत्र जाप की संख्या की पूरी जानकारी इस ब्लॉग में पाएं – सरल और शुद्ध हिंदी में।

नवरात्रि का नवमी व्रत कैसे करें (पूजा विधि)
सुबह का समय (ब्रह्म मुहूर्त या सुबह 6 से 9 बजे तक)
1. स्नान और साफ कपड़े पहनें – सबसे पहले प्रातः काल उठकर स्नान करें और साफ-सुथरे (सफेद या पीले रंग) वस्त्र धारण करें।
2. पूजा स्थल की सफाई करें – जहाँ माँ की स्थापना की गई है वहाँ की सफाई करें और दीपक जलाएँ।
3. माँ सिद्धिदात्री का ध्यान करें, क्योंकि नवरात्रि की नवमी तिथि उन्हें समर्पित होती है।
माँ सिद्धिदात्री का मंत्र:
"ॐ ऐं ह्रीं क्लीं सिद्धिदात्र्यै नमः।"
4. पूजन सामग्री तैयार करें – फूल, अक्षत (चावल), रोली, नारियल, फल, मिठाई, अगरबत्ती, दीपक आदि।
5. माँ दुर्गा की आरती करें, और उनका ध्यान करते हुए अपनी मनोकामना बोलें।
कन्या पूजन / कन्या भोज विधि
1. 7, 9 या 11 कन्याओं और एक लांगूर (बालक) को आमंत्रित करें।
2. उनके पैर धोएं, उन्हें तिलक लगाएँ।
3. भोग खिलाएँ – हलवा, पूड़ी और काले चने (माँ को अति प्रिय)।
4. उन्हें दक्षिणा, चुनरी, फल, मिठाई और कोई छोटा सा उपहार दें।
5. उनके जाने के बाद भोग को ग्रहण करें, यही व्रत का पारण होता है।
व्रत खोलने का तरीका (पारण विधि)
- कन्या पूजन के बाद जब कन्याओं को भोजन करा दिया जाए, उसके बाद आप व्रत खोल सकते हैं।
- पहले जल और प्रसाद लें, फिर भोजन करें।
माँ सिद्धिदात्री की आरती
जय सिद्धिदात्री माँ, जय जय अंबे।
सब पर करुणा बरसाओ, माँ भव भये हर लो।
चार भुजाओं वाली, शंख चक्र धारी।
कमलासन पर विराजे, माँ वर मुद्रा धारी॥
ब्रह्मा विष्णु महेश भी, वंदन करें तुम्हारा।
भक्तों के कष्ट हरें, तुम माँ सुख सारा॥
नवरात्रि की नवमी को, तुम पूजी जाती हो।
श्रद्धा से जो ध्याये, वो सिद्धि पाता हो॥
जय सिद्धिदात्री माँ, जय जय अंबे।
सब पर करुणा बरसाओ, माँ भव भये हर लो॥
इस आरती को दीप जलाकर, घंटी बजाकर श्रद्धा से करें।