रूस ने टेलीग्राम पर लगाया 80 हजार डॉलर का जुर्माना, सरकार विरोधी कंटेंट को लेकर सख्त कार्रवाई
रूस ने सरकार विरोधी कंटेंट न हटाने पर टेलीग्राम पर 80 हजार डॉलर का जुर्माना लगाया है। जानिए इस फैसले का कारण, टेलीग्राम की प्रतिक्रिया और इसका वैश्विक असर।

रूस ने टेलीग्राम पर लगाया 80 हजार डॉलर का जुर्माना, सरकार विरोधी कंटेंट को लेकर हुई कार्रवाई
दुनियाभर में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर सरकारों की नजर लगातार बढ़ती जा रही है, और इस बार रूस ने कड़ा कदम उठाया है। रूस की एक अदालत ने मशहूर सोशल मीडिया मैसेजिंग ऐप टेलीग्राम (Telegram) पर 80 हजार डॉलर (लगभग 66 लाख रुपये) का जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना सरकार विरोधी कंटेंट को न हटाने के मामले में लगाया गया है।
इस फैसले से जहां रूस की कड़ी साइबर नीति उजागर हुई है, वहीं यह मामला एक बार फिर "फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन" और "स्टेट कंट्रोल" के बीच की बहस को हवा दे रहा है।
क्या है पूरा मामला?
रूसी अदालत के अनुसार, टेलीग्राम ने बार-बार चेतावनी देने के बावजूद उन कंटेंट्स को नहीं हटाया, जिन्हें रूसी सरकार ने "अवैध और देश विरोधी" माना है। इन कंटेंट्स में:
- सरकार विरोधी प्रदर्शन से जुड़ी जानकारियां
- युद्ध विरोधी बयान
- रूसी सैनिकों पर आलोचनात्मक पोस्ट
- और कथित फेक न्यूज शामिल थीं।
टेलीग्राम पर आरोप है कि उसने इन पोस्ट्स को हटाने के लिए रूस के कानूनों का उल्लंघन किया, जिससे अदालत ने उस पर लगभग 80,000 डॉलर का जुर्माना ठोंका।
टेलीग्राम की प्रतिक्रिया
टेलीग्राम की ओर से इस फैसले पर कोई औपचारिक बयान नहीं आया है, लेकिन अब तक की नीति के अनुसार, टेलीग्राम अक्सर कहता रहा है कि:
- वह यूजर्स की प्राइवेसी और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान करता है।
- वह तब तक कोई कंटेंट नहीं हटाता, जब तक कि वह स्पष्ट रूप से किसी देश के कानून के अनुसार गैरकानूनी न हो।
- उनका प्लेटफॉर्म एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड है, जिससे वह खुद भी मैसेज नहीं देख सकते।
यह रुख कई बार विभिन्न सरकारों के साथ उनके टकराव का कारण बन चुका है।
रूस की सख्त डिजिटल नीति
रूस पिछले कुछ वर्षों से डिजिटल संप्रभुता (Digital Sovereignty) को लेकर बेहद सख्त रुख अपना रहा है। खासकर:
- यूक्रेन युद्ध के बाद रूस ने सोशल मीडिया और इंटरनेट प्लेटफॉर्म्स पर सख्ती और बढ़ा दी है।
- सरकार चाहता है कि सभी प्लेटफॉर्म रूसी कानूनों के अनुसार काम करें और देशविरोधी सामग्री को तुरंत हटाएं।
- फेसबुक, ट्विटर, गूगल और यूट्यूब को भी पहले भारी जुर्मानों और ब्लॉक्स का सामना करना पड़ा है।
फ्री स्पीच बनाम गवर्नमेंट कंट्रोल
यह मुद्दा सिर्फ रूस तक सीमित नहीं है। दुनियाभर में यह बहस चल रही है कि:
- सरकारों को कितना कंट्रोल होना चाहिए ऑनलाइन स्पेस पर?
- क्या फ्री स्पीच के नाम पर किसी भी तरह की जानकारी फैलाना उचित है?
- और सोशल मीडिया कंपनियों की क्या ज़िम्मेदारी बनती है?
जहां एक ओर टेलीग्राम और अन्य प्लेटफॉर्म फ्री स्पीच की बात करते हैं, वहीं सरकारें फेक न्यूज, हिंसा भड़काने और देशविरोधी गतिविधियों को रोकने की दलील देती हैं।
टेलीग्राम की लोकप्रियता क्यों है चिंता का विषय?
- टेलीग्राम एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जो एन्क्रिप्शन और प्राइवेसी के लिए जाना जाता है।
- यह सरकार की निगरानी से काफी हद तक बाहर माना जाता है।
- रूस, भारत, ईरान, जर्मनी और अमेरिका जैसे कई देशों में यह वैकल्पिक समाचार, समूह चर्चा और पब्लिक चैनल्स के लिए इस्तेमाल होता है।
- ऐसे में सरकारों को डर रहता है कि यह प्लेटफॉर्म अस्थिरता फैलाने का माध्यम बन सकता है।
दूसरे देशों का रुख
टेलीग्राम को लेकर दूसरे देश भी सतर्क हैं:
- भारत: सरकार ने टेलीग्राम से कई बार डेटा शेयरिंग और आपत्तिजनक कंटेंट हटाने की मांग की है।
- जर्मनी: टेलीग्राम को कट्टरपंथी विचारधाराओं के प्रचार का मंच कहकर चेतावनी दी गई।
- ईरान और चीन: इन देशों में तो टेलीग्राम को आंशिक रूप से या पूरी तरह ब्लॉक कर दिया गया है।
क्या इससे टेलीग्राम की छवि को नुकसान होगा?
- जहां एक ओर कुछ लोग टेलीग्राम को फ्री स्पीच का प्रतीक मानते हैं, वहीं कई इसे गैर-जिम्मेदार प्लेटफॉर्म कह रहे हैं।
- इस तरह के जुर्माने और सरकारी कार्रवाई से टेलीग्राम की छवि और संचालन नीति पर प्रश्नचिह्न लग सकते हैं।
- हालांकि, अब तक की स्थिति से यह प्रतीत होता है कि टेलीग्राम अपने उसूलों पर कायम रहना चाहता है।
यूज़र्स के लिए क्या सीख?
- सोशल मीडिया पर शेयर करने से पहले सोचें।
- सरकारों के नियमों और कानूनों को समझना जरूरी है।
- यदि आप किसी चैनल या ग्रुप के सदस्य हैं, तो वहां साझा हो रही सामग्री की वैधता पर सवाल उठाएं।
- गलत जानकारी या नफरत फैलाने वाले कंटेंट से बचें।
निष्कर्ष
रूस द्वारा टेलीग्राम पर लगाया गया जुर्माना एक बड़ी चेतावनी है – न केवल सोशल मीडिया कंपनियों के लिए, बल्कि आम यूजर्स के लिए भी। जहां सोशल मीडिया आज अभिव्यक्ति का प्रमुख साधन बन चुका है, वहीं सरकारें इसे नियंत्रित करने के प्रयास में हैं।
टेलीग्राम पर हुई कार्रवाई यह दिखाती है कि अब समय आ गया है जब सोशल प्लेटफॉर्म्स को भी अपनी जिम्मेदारियों और सामाजिक प्रभाव को गंभीरता से लेना होगा।
आगे देखना दिलचस्प होगा कि टेलीग्राम इस फैसले का क्या जवाब देता है और क्या यह जुर्माना केवल शुरुआत है या और भी कठोर कदम उठाए जाएंगे।