अब गलती से भी गलत खाते में नहीं जाएगा पैसा: UPI का नया नियम
NPCI ने UPI ऐप्स में ‘Ultimate Beneficiary Name’ दिखाने का नया नियम जारी किया है। जानें कैसे 30 जून 2025 से गलती से भी पैसा गलत खाते में नहीं जाएगा।

आज डिजिटल भुगतानों ने हमारे जीवन को बेहद आसान बना दिया है। भारत में UPI (Unified Payments Interface) के ज़रिए रोज़ाना करोड़ों लेन-देन होते हैं। लेकिन इसी सुव्यवस्था के बीच कभी–कभी छोटी सी गलती, जैसे खाता संख्या में एक अंक का अंतर, या कॉन्टैक्ट लिस्ट में नाम बदलने की वजह से पैसा गलत खाते में ट्रांसफर हो जाता है। ऐसे मामलों में पैसा वापस पाने की प्रक्रिया लंबी और जटिल हो सकती है। इसी समस्या को पूरी तरह समाप्त करने के लिए NPCI (नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया) ने एक नया नियम जारी किया है, जो 30 जून 2025 से सभी UPI ऐप्स पर लागू होगा।
1. समस्या की जड़: गलती से गलत खाते में पैसा ट्रांसफर
- वृहद् उपयोग
भारत में UPI के ज़रिए प्रतिदिन अरबों रूपये की ट्रांजैक्शन होती हैं। इसके चलते, यदि कहीं भी कोई डेटा एंट्री गलती हो जाए, तो पैसा सीधे गलत बैंक खाते में चला जाता है। - रिफंड की जटिल प्रक्रिया
गलत खाते में गया पैसा वापस लेने के लिए समय-सापेक्ष बैंक प्रतिभागियों, ग्राहक सेवा और कानूनी औपचारिकताओं का सामना करना पड़ता है। कई बार पैसा वापस मिलने में हफ्ते या महीने लग जाते हैं। - बढ़ती धोखाधड़ी की घटनाएं
फर्जी ऐप्स या QR कोड के ज़रिए लोग जानबूझकर झूठे नाम या अलियास इस्तेमाल कर धोखाधड़ी कर रहे हैं। यूज़र सोचे बिना पेमेंट कर देता है और बाद में बड़ा नुकसान होता है।
2. NPCI का नया नियम: ‘Ultimate Beneficiary Name’ दिखेगा
नया नियम इस कड़िया समस्या का स्थायी समाधान लाता है:
- केबल बैंक-रजिस्टर्ड नाम
अब UPI ऐप्स में पेमेंट कन्फर्मेशन स्क्रीन पर केवल बैंक के कोर बैंकिंग सिस्टम में दर्ज “Ultimate Beneficiary Name” ही दिखेगा। - अलियास या कॉन्टैक्ट लिस्ट नाम नहीं
यूज़र द्वारा फोन में सेव्ड नाम, QR कोड से फेच किया गया डायनामिक नाम या किसी नेमस्पेस (जैसे “Maa का फंड”) को अब दिखाने की अनुमति नहीं होगी। - ट्रांजैक्शन हिस्ट्री में भी रियल नेम
न केवल पेमेंट करते समय, बल्कि लेन-देन की हिस्ट्री में भी वही बैंक रजिस्टर्ड नाम दिखेगा, जिससे बाद में कोई भ्रम न रहे।
यह बदलाव 24 अप्रैल 2025 को NPCI की सर्कुलर के ज़रिए जारी किया गया और सभी UPI एप्लिकेशन प्रोवाइडर्स को 30 जून 2025 तक इसका पालन अनिवार्य करना होगा।
3. नया नियम कैसे काम करेगा
1. पेमेंट इनिशिएट करते समय
o यूज़र जब UPI ID या VPA (Virtual Payment Address) डालकर पेमेंट करेगा, ऐप बैक-एंड से सीधे बैंक के CBS (Core Banking System) में चेक करके खाते का सही नाम दिखाएगा।
2. कन्फर्मेशन स्क्रीन
o “आप ₹500 ट्रांसफर कर रहे हैं: राम कुमार” (जहां राम कुमार बैंक में रजिस्टर नाम है) — यह नाम अलियास से अलग होगा और यूज़र को शत-प्रतिशत भरोसा दिलाएगा।
3. ट्रांजैक्शन लॉग
o भविष्य में देखें तो भी इस नाम के साथ ही रिकॉर्ड होगा, जिससे रिफंड या डिस्प्यूट के वक्त बैंक और ग्राहक, दोनों के लिए प्रक्रिया साफ-सुथरी रहेगी।
4. किन ऐप्स को लागू करना होगा
आमतौर पर भारत में प्रमुख UPI ऐप्स — Google Pay, PhonePe, Paytm, BHIM, Amazon Pay, WhatsApp Pay समेत सभी बैंक और थर्ड-पार्टी पेमेंट ऐप्स को इस नए नियम का पालन करना अनिवार्य है। NPCI ने चेताया है कि समय पर न पालन करने पर नॉन-कंप्लायंस के तहत उन ऐप्स के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
5. लाभ: पैसे की नकल और धोखाधड़ी पर अंकुश
- गलत खाते में ट्रांसफर की संभावना शून्य
जैसा कि उपयोगकर्ता को अंतिम लाभार्थी का सही नाम नजर आएगा, अनजाने में गलत अकाउंट में ट्रांसफर का डर नहीं रहेगा। - धोखाधड़ी में कमी
फ्रॉड करने वाले अब यूज़र को फर्जी अलियास दिखा कर मूर्ख नहीं बना पाएंगे। - बैंक और ग्राहक दोनों की बचत
विवाद सुलझाने में बैंकों का समय और ग्राहक का धैर्य दोनों बचेंगे।
6. अतिरिक्त UPI सुधार: मोबाइल नंबर अपडेट गाइडलाइन
NPCI ने अप्रैल 2025 में एक और प्रावधान लागू किया, जिसके तहत यदि किसी यूज़र का रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर लंबे समय से इनएक्टिव हो, तो उसका UPI ID अनलिंक हो जाएगा। इसका मकसद भी यही है कि पुराना या रीसाइकिल हुआ नंबर नए यूज़र द्वारा गलतभाले ट्रांजैक्शन में इस्तेमाल न हो सके। सभी बैंक और पेमेंट ऐप्स को मासिक आधार पर मोबाइल नंबर वेरिफिकेशन और अपडेट करना होगा।
7. यूज़र क्या कर सकते हैं
1. अपने UPI ऐप वर्शन चेक करें
o सुनिश्चित करें कि पेमेंट ऐप नवीनतम वर्शन पर अपडेट है।
2. रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर का रखरखाव
o यदि आपका नंबर लंबे समय से निष्क्रिय है, तो बैंक और UPI ऐप में अपडेट कर दें।
3. पेमेंट से पहले नाम ध्यान से चेक करें
o अभी भी बदलाव पूरी तरह रोल-आउट नहीं हुआ है, इसलिए पेमेंट से पहले स्क्रीन पर दिख रहे नाम की जाँच करना न भूलें।
4. समस्याएं होने पर तुरंत बैंक से संपर्क
o कोई गड़बड़ी दिखे या नियम का पालन न हो रहा हो, तो तुरंत बैंक/PSP (Payment Service Provider) को कस्टमर सपोर्ट टिकट भेजें।
UPI ने भारत में वित्तीय समावेशन और डिजिटल पेमेंट्स को एक नई ऊँचाई दी है, लेकिन तकनीकी और परिचालन चुनौतियाँ बनी हुई हैं। NPCI का यह नया नियम “Ultimate Beneficiary Name” दिखाने का, न केवल गलती से पैसे गलत खाते में चले जाने की समस्या को समाप्त करेगा, बल्कि हमारी पेमेंट सुरक्षा और भरोसे को भी और मजबूत बनाएगा। 30 जून 2025 के बाद आप बिना किसी चिंता के UPI से भुगतान कर सकेंगे, जानकर कि पैसा एकदम सही गंतव्य पर ही पहुँचेगा।
डिस्क्लेमर:
यह लेख सामान्य सूचना प्रदान करने के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें दी गई जानकारियाँ NPCI तथा संबंधित बैंकों द्वारा जारी सर्कुलर और गाइडलाइन्स पर आधारित हैं। किसी विशेष कानूनी या वित्तीय निर्णय से पहले कृपया अधिकृत बैंक या वित्तीय सलाहकार से परामर्श अवश्य लें।