Chaturmas 2025: कब से शुरू होगा चातुर्मास? यहां जानें सही डेट एवं धार्मिक महत्व

जानें चातुर्मास 2025 की शुरुआत और समाप्ति की तिथि, इसका धार्मिक महत्व, परंपराएं, वर्जित कार्य और साधना के लाभ। इस लेख में पाएं पूरी जानकारी।

Chaturmas 2025: कब से शुरू होगा चातुर्मास? यहां जानें सही डेट एवं धार्मिक महत्व

भारतीय सनातन परंपरा में चातुर्मास का विशेष महत्व है। यह चार महीने की एक ऐसी अवधि होती है जिसमें साधु-संत, गृहस्थ और भक्तगण तप, साधना, संयम और भक्ति में लीन रहते हैं। यह समय स्वयं भगवान विष्णु की योगनिद्रा से जुड़ा हुआ माना जाता है, जिसमें वे क्षीर सागर में शयन करते हैं। 2025 में चातुर्मास कब से शुरू हो रहा है, इसका धार्मिक महत्व क्या है, और इस दौरान क्या करें और क्या न करें—इस लेख में जानिए सबकुछ विस्तार से।


 चातुर्मास 2025 कब से शुरू होगा?

चातुर्मास की शुरुआत आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी यानी देवशयनी एकादशी से होती है और समाप्ति कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी यानी प्रबोधिनी एकादशी को होती है।

 चातुर्मास प्रारंभ तिथि (2025):

8 जुलाई 2025 (मंगलवार)देवशयनी एकादशी

 चातुर्मास समापन तिथि (2025):

4 नवंबर 2025 (मंगलवार)प्रबोधिनी एकादशी

इस अवधि को ‘भगवान विष्णु की योगनिद्रा’ का काल माना जाता है और इस दौरान शुभ कार्य, विशेषकर विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन आदि निषेध माने जाते हैं।


 चातुर्मास का धार्मिक महत्व

चातुर्मास को तपस्या, भक्ति और साधना का विशेष काल माना गया है। इस अवधि में भगवान विष्णु क्षीर सागर में योगनिद्रा में चले जाते हैं और समस्त सृष्टि की बागडोर भगवान शिव, देवी शक्ति और अन्य देवताओं के हाथ में होती है।

  • सदाचार और संयम का समय
    यह समय व्रत, उपवास, दान और धार्मिक ग्रंथों के पठन-पाठन के लिए सर्वोत्तम है।
  • आध्यात्मिक प्रगति का अवसर
    साधक इस समय का उपयोग ध्यान, योग, जप और आत्मचिंतन के लिए करते हैं।
  • गृहस्थों के लिए नियमों का पालन
    इस अवधि में खान-पान और आचरण में विशेष संयम बरतने की परंपरा है।

 पौराणिक संदर्भ

पुराणों के अनुसार जब भगवान विष्णु चार महीने के लिए विश्राम करते हैं, तब यह ब्रह्मांड की स्थिरता और संतुलन बनाए रखने का समय होता है। स्कंद पुराण, पद्म पुराण, और नारद पुराण में चातुर्मास का विस्तृत वर्णन मिलता है।

  • देवशयनी एकादशी से प्रभु विश्राम में जाते हैं।
  • प्रबोधिनी एकादशी को प्रभु पुनः जागते हैं और विवाह आदि शुभ कार्य पुनः प्रारंभ होते हैं।

 चातुर्मास में क्या खाएं और क्या न खाएं?

चातुर्मास के दौरान खानपान पर विशेष संयम रखा जाता है। आयुर्वेद और धर्म दोनों दृष्टियों से यह समय शारीरिक और मानसिक शुद्धि का माना जाता है।

 निषेध खाद्य सामग्री:

  • लहसुन-प्याज
  • मांसाहार
  • अंडा
  • मदिरा
  • हरी पत्तेदार सब्जियाँ (श्रावण में)
  • दही (भाद्रपद में)

 अनुशंसित आहार:

  • सात्त्विक भोजन
  • फलाहार
  • दूध, घी, और शुद्ध अन्न
  • उपवास में साबूदाना, कुट्टू, सिंघाड़ा

 चातुर्मास में करने योग्य धार्मिक कार्य

1.    प्रति दिन संध्या आरती और तुलसी पूजन

2.    भागवत कथा, रामायण पाठ, गीता का अध्ययन

3.    व्रत और एकादशी व्रतों का पालन

4.    दान-पुण्य: अन्नदान, वस्त्रदान, गौसेवा

5.    सत्संग और साधु-संतों की सेवा


 चातुर्मास में वर्जित कार्य

धार्मिक दृष्टि से इस अवधि में निम्न कार्यों को वर्जित माना गया है:

  • विवाह और सगाई
  • गृह प्रवेश
  • नया वाहन या संपत्ति खरीदना
  • बाल कटवाना, दाढ़ी बनवाना (श्रावण में विशेष रूप से वर्जित)
  • व्रत भंग करना
  • रात्रि भोजन करना

 चातुर्मास की प्रमुख एकादशियाँ और पर्व

तिथि

पर्व

महत्व

8 जुलाई

देवशयनी एकादशी

चातुर्मास आरंभ

17 अगस्त

कामिका एकादशी

विशेष व्रत

6 सितंबर

अजा एकादशी

पापों से मुक्ति

25 अक्टूबर

रमा एकादशी

लक्ष्मी कृपा

4 नवंबर

देवउठनी एकादशी

चातुर्मास समाप्त


 चातुर्मास में साधना का प्रभाव

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार यदि व्यक्ति चातुर्मास के चार महीने तक संयम और साधना करता है, तो उसे हजार यज्ञों के बराबर पुण्य फल प्राप्त होता है।

  • मानसिक शांति और आत्मिक उन्नति
  • मन और इंद्रियों पर नियंत्रण
  • रोगों से मुक्ति और आयु में वृद्धि

 गृहस्थों के लिए सरल नियम

जो व्यक्ति पूरी तपस्या न कर सकें, वे निम्नलिखित सरल नियमों का पालन कर सकते हैं:

  • सप्ताह में एक दिन उपवास
  • नियमित गीता का पाठ
  • परिवार के साथ आरती व भजन
  • सात्त्विक भोजन और संयम

 विशेष सुझाव

1.    बच्चों को भी इस अवधि में धार्मिकता सिखाएं।

2.    किसी जरूरतमंद की सेवा करें।

3.    डिजिटल डिटॉक्स लेकर आत्मचिंतन करें।

4.    अपनी दिनचर्या में योग और ध्यान को जोड़ें।


 Disclaimer (अस्वीकरण):

इस ब्लॉग में दी गई जानकारी पंचांग, ज्योतिषीय गणना और प्रचलित धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। पाठकों से निवेदन है कि किसी भी धार्मिक अनुष्ठान या व्रत का पालन करने से पूर्व अपने पंडित या गुरु से व्यक्तिगत परामर्श अवश्य लें। स्थान और संप्रदाय के अनुसार परंपराओं में भिन्नता हो सकती है।


चातुर्मास 2025 आध्यात्मिक साधना, संयम और भक्ति का पर्व है। यह वह काल है जब व्यक्ति बाहरी गतिविधियों से हटकर अंतर्मन की यात्रा करता है। यदि आप इस अवधि का सही उपयोग करते हैं, तो जीवन में चमत्कारिक रूप से सकारात्मक परिवर्तन आ सकते हैं।