क्यों पेट से आती है गुड़-गुड़ की आवाज? जानिए सिर्फ भूख ही नहीं, और भी हैं कारण
पेट से आने वाली गुड़-गुड़ की आवाज को सिर्फ भूख से जोड़ना सही नहीं है। जानिए इसके सभी संभावित कारण, सावधानियां और इलाज के घरेलू उपाय।

हम सबने कभी न कभी अनुभव किया होगा कि जब हमारा पेट खाली होता है या हम थोड़ी देर भूखे रहते हैं, तो पेट से अजीब सी गुड़-गुड़ या गड़गड़ाहट की आवाजें आने लगती हैं। अक्सर इस आवाज को हम ‘भूख लगने का संकेत’ मानते हैं, लेकिन क्या वाकई केवल भूख ही इसका कारण है? क्या यह सामान्य है या इसके पीछे कोई गंभीर कारण छिपा हो सकता है? इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि यह गुड़गुड़ाहट क्यों होती है, इसके संभावित कारण क्या हैं और कब डॉक्टर से परामर्श लेना ज़रूरी हो जाता है।
पेट में गुड़-गुड़ की आवाज क्या होती है?
गुड़-गुड़ की आवाज को मेडिकल भाषा में "Borborygmus" (बॉर्बोरीग्मस) कहा जाता है। यह आवाज़ तब उत्पन्न होती है जब आपकी आंतों में गैस, लिक्विड और ठोस भोजन हिलते-डुलते हैं। ये आवाज़ें आमतौर पर इतनी हल्की होती हैं कि कोई सुन नहीं पाता, लेकिन कभी-कभी ये इतनी ज़ोरदार हो सकती हैं कि पास बैठा व्यक्ति भी सुन सके।
भूख क्यों बनती है इसकी वजह?
जब आप कुछ समय तक भोजन नहीं करते हैं तो आपके मस्तिष्क से सिग्नल जाता है कि पेट खाली है। इससे पेट और आंतों में संकुचन (peristalsis) शुरू होता है। इस प्रक्रिया में गैस और हवा भी मिल जाती है जिससे गुड़-गुड़ की आवाजें आने लगती हैं।
केवल भूख नहीं, ये भी हो सकते हैं कारण
1. पाचन क्रिया का हिस्सा
भोजन करने के बाद भी पेट में आवाजें आ सकती हैं। जब खाना आंतों से होकर गुज़रता है, तो वह गैस और तरल के साथ मिलकर आवाज उत्पन्न कर सकता है।
2. अत्यधिक गैस बनना
कुछ खाद्य पदार्थ जैसे बीन्स, राजमा, पत्तेदार सब्जियाँ या कार्बोनेटेड ड्रिंक्स पेट में अधिक गैस बनाते हैं। इससे भी पेट में गुड़-गुड़ की आवाज आने लगती है।
3. जल्दी-जल्दी खाना खाना
जब आप तेज़ी से खाते हैं या बात करते हुए खाते हैं, तो आप हवा भी निगल लेते हैं (Aerophagia), जिससे गैस बनती है और आंतों में हलचल तेज़ होती है।
4. तनाव और एंग्जायटी
तनाव और चिंता के दौरान पाचन तंत्र भी प्रभावित होता है। इससे पेट में गैस और गति दोनों असामान्य हो सकती हैं, जिससे आवाजें आती हैं।
5. अल्सर या गैस्ट्रिक समस्याएं
कभी-कभी पेट में अल्सर या गैस्ट्राइटिस जैसी समस्याओं के कारण भी यह आवाजें होती हैं। इसके साथ जलन, एसिडिटी, दर्द जैसे लक्षण भी हो सकते हैं।
6. लैक्टोज इनटॉलरेंस
जो लोग दूध या डेयरी प्रोडक्ट्स पचाने में असमर्थ होते हैं, उनके शरीर में गैस और अपच की समस्या अधिक होती है, जिससे पेट में आवाजें आने लगती हैं।
कब हो जाएं सतर्क?
अगर केवल आवाज हो और कोई अन्य लक्षण न हो, तो यह सामान्य बात है। लेकिन यदि इसके साथ निम्नलिखित लक्षण भी हों तो डॉक्टर से परामर्श ज़रूरी है:
- पेट में दर्द या ऐंठन
- लगातार डकार या उल्टी
- दस्त या कब्ज
- वजन घटना
- अत्यधिक गैस
- खाने के बाद बेचैनी
पेट की गुड़-गुड़ को कम करने के उपाय
1. खाने का तरीका बदलें
धीरे-धीरे और चबा कर खाएं। इससे खाना सही से पचेगा और गैस कम बनेगी।
2. संतुलित आहार लें
ऐसा भोजन लें जिसमें फाइबर, प्रोटीन और सही मात्रा में कार्बोहाइड्रेट हो। अधिक तैलीय या मसालेदार भोजन से बचें।
3. पानी पर्याप्त मात्रा में पिएं
पानी पाचन क्रिया को ठीक रखने में मदद करता है। लेकिन खाने के तुरंत बाद बहुत अधिक पानी न पिएं।
4. योग और प्राणायाम करें
पाचन क्रिया को सुधारने और गैस को बाहर निकालने के लिए योग और गहरी सांस लेने वाले प्राणायाम (जैसे अनुलोम-विलोम, कपालभाति) फायदेमंद हैं।
5. डायरी मेंटेन करें
अगर आपको बार-बार यह समस्या होती है तो अपने खानपान की डायरी रखें और नोट करें कि कौन सा भोजन करने पर पेट में ज्यादा आवाज होती है।
घरेलू उपाय जो कर सकते हैं मदद
- अदरक और सौंफ की चाय लें
- हींग और अजवाइन का पानी पिएं
- गुनगुना पानी पीने से भी राहत मिलती है
- खाने में दही या छाछ शामिल करें
क्या यह कोई गंभीर बीमारी का संकेत हो सकता है?
अकेले पेट की आवाज किसी बीमारी का संकेत नहीं मानी जाती, लेकिन यदि इसके साथ अन्य लक्षण भी हों, जैसे पेट दर्द, डायरिया, उल्टी, तो यह आईबीएस (Irritable Bowel Syndrome) या इंफेक्शन का संकेत हो सकता है। ऐसे मामलों में जाँच आवश्यक है।
डॉक्टर से कब मिलना चाहिए?
यदि पेट की आवाज के साथ ये लक्षण भी मौजूद हों:
- 3 दिन से अधिक दस्त या कब्ज
- पेट में सूजन
- खून की उल्टी या मल
- अत्यधिक थकावट
- खाने से डर लगने लगे
तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
पेट से आने वाली गुड़-गुड़ की आवाज अधिकतर मामलों में एक सामान्य जैविक प्रक्रिया है जो भूख लगने, गैस बनने या पाचन क्रिया से जुड़ी होती है। लेकिन यदि यह बहुत अधिक हो रही हो या इसके साथ अन्य असामान्य लक्षण भी आ रहे हों, तो इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। थोड़े से खानपान और जीवनशैली में बदलाव से इस समस्या को रोका जा सकता है।
डिस्क्लेमर:
यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। इसमें दी गई बातों का उद्देश्य किसी भी चिकित्सा सलाह को बदलना नहीं है। यदि आपको किसी तरह की स्वास्थ्य समस्या है तो कृपया डॉक्टर या विशेषज्ञ से संपर्क करें।