क्या पीरियड्स में नवरात्रि की पूजा करना सही है? जानिए धार्मिक, वैज्ञानिक और आधुनिक दृष्टिकोण
क्या मासिक धर्म के दौरान महिलाएं नवरात्रि की पूजा कर सकती हैं? जानें इस विषय पर धार्मिक मान्यताएं, वैज्ञानिक दृष्टिकोण और बदलती सोच के बारे में विस्तार से इस ब्लॉग में

क्या मासिक धर्म के दौरान नवरात्रि में पूजा की जा सकती है?
भारत में नवरात्रि एक अत्यंत पवित्र और शक्तिशाली पर्व है, जिसमें नौ दिनों तक देवी दुर्गा की उपासना की जाती है। इस दौरान कई लोग व्रत रखते हैं, पूजा-पाठ करते हैं और देवी माँ के प्रति श्रद्धा प्रकट करते हैं। लेकिन एक सवाल अक्सर चर्चा का विषय बनता है:
क्या महिलाएँ मासिक धर्म (Periods) के दौरान नवरात्रि में पूजा कर सकती हैं?
परंपरागत दृष्टिकोण
भारतीय समाज में पारंपरिक मान्यताओं के अनुसार, मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को पूजा-पाठ, मंदिर प्रवेश, व्रत आदि से दूर रहने की सलाह दी जाती है। इसे "अशुद्धता" से जोड़ा जाता है, जो कि सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टिकोण से चली आ रही एक धारणा है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण
वैज्ञानिक रूप से देखा जाए तो मासिक धर्म एक स्वाभाविक जैविक प्रक्रिया है। यह किसी प्रकार की अशुद्धता नहीं है, बल्कि एक स्वस्थ स्त्री शरीर की निशानी है। आधुनिक समय में बहुत से लोग यह मानते हैं कि पीरियड्स के दौरान महिलाओं को पूजा से रोकना केवल एक सामाजिक नियम था, जो अब प्रासंगिक नहीं रहा।
आध्यात्मिक दृष्टिकोण
कई संत और आध्यात्मिक गुरु अब यह मानते हैं कि ईश्वर ने महिला शरीर को जैसा बनाया है, वही पवित्र है। माँ दुर्गा स्वयं एक स्त्री शक्ति का प्रतीक हैं — क्या वे अपनी ही शक्ति को अपवित्र मानेंगी? कुछ विद्वानों का मत है कि श्रद्धा और भावना से बढ़कर कुछ नहीं होता। यदि मन में भक्ति है, तो ईश्वर किसी को नहीं रोकते।
बदलता नजरिया
आज के समय में बहुत-सी महिलाएं इन रूढ़ियों को चुनौती दे रही हैं और मासिक धर्म के दौरान भी पूजा कर रही हैं। कुछ मंदिरों और धार्मिक संस्थाओं ने भी इस पर सकारात्मक रुख अपनाया है।
निष्कर्ष
मासिक धर्म कोई अपवित्र या शर्म की बात नहीं है। यदि आप अपने मन से शुद्ध हैं और सच्चे मन से माँ की उपासना करना चाहती हैं, तो मासिक धर्म के दौरान भी नवरात्रि में पूजा करना न केवल संभव है बल्कि पूर्ण रूप से स्वीकार्य भी होना चाहिए।
समाज को अब समय के साथ चलना चाहिए और महिलाओं को उनके शरीर की प्राकृतिक प्रक्रियाओं के कारण पूजा से वंचित नहीं करना चाहिए।
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