वैशाख अष्टमी व्रत 2025: माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त करने का पावन अवसर

जानिए वैशाख अष्टमी व्रत 2025 की तिथि, महत्व, पूजा विधि, व्रत कथा और आरती। माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त करने का यह पावन अवसर न चूकें।

वैशाख अष्टमी व्रत 2025: माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त करने का पावन अवसर

हिंदू पंचांग के अनुसार, हर माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मासिक दुर्गा अष्टमी का व्रत रखा जाता है। यह दिन माँ दुर्गा की उपासना के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। वैशाख मास की अष्टमी को यह व्रत विशेष फलदायी होता है, क्योंकि यह समय धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र माना गया है।


 वैशाख अष्टमी व्रत 2025 की तिथि

  • तिथि: सोमवार, 5 मई 2025
  • अष्टमी तिथि आरंभ: 5 मई 2025 को प्रातः 06:15 बजे
  • अष्टमी तिथि समाप्त: 6 मई 2025 को प्रातः 04:30 बजे

 व्रत का महत्व

मासिक दुर्गा अष्टमी व्रत का पालन करने से भक्तों को माँ दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इस व्रत से जीवन के कष्टों का निवारण होता है, और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने से घर में सुख-शांति बनी रहती है, और सभी प्रकार की बाधाएँ दूर होती हैं।


 पूजा विधि

1.    प्रातःकाल स्नान: स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

2.    माँ दुर्गा की स्थापना: लकड़ी के पाट पर लाल कपड़ा बिछाकर माँ दुर्गा की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।

3.    पूजन सामग्री: लाल फूल, अक्षत, कुमकुम, चंदन, धूप, दीप, फल, मिठाई आदि से माँ की पूजा करें।

4.    मंत्र जाप: "ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे" मंत्र का 108 बार जाप करें।

5.    आरती: माँ दुर्गा की आरती करें और प्रसाद वितरण करें।


 व्रत कथा (संक्षेप में)

प्राचीन काल में एक राजा ने माँ दुर्गा की उपासना करके इस व्रत का पालन किया, जिससे उसकी सभी समस्याएँ समाप्त हो गईं और राज्य में सुख-शांति स्थापित हुई। यह कथा दर्शाती है कि माँ दुर्गा की कृपा से असंभव भी संभव हो सकता है।


आरती

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी। 

तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी॥ 

 

जय अम्बे गौरी...

 

मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को। 

उज्जवल से दोऊ नैना, चंद्रवदन नीको॥ 

 

कानन कुण्डल शोभित, नासाग्र मोती। 

कोटि चंद्र की शोभा, त्रिभुवन ज्योती॥ 

 

शंख, चक्र, गदा, खड्ग, केसरि वाहन सोहे। 

तेज प्रताप महाशक्ति, दुष्ट दलन मोहे॥ 

 

चामुण्डा, लक्ष्मी, काली, दुर्गा रूप तुम्हारे। 

माँ शक्ति रूप विराजे, भक्तन संकट टारे॥ 

 

जो कोई तुमको ध्यावत, मनवांछित फल पावत। 

रोग, शोक मिटावत, सुख-सम्पत्ति लावत॥ 

 

भुजा चार अति शोभा, त्रिनयन सुशोभा। 

माथे मुकुट बिराजे, रूप अति लोभा॥ 

 

रक्त दन्तिका, कालिका, अन्नपूर्णा अम्बा। 

सत्य सनातन दुर्गे, सुख संपत्ति दाता॥ 

 

आरती को जो गावे, मनवांछित फल पावे। 

दुर्गा जी को मनावे, कष्ट निकट न आवे॥

 

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी। 

तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी॥