बगलामुखी जयंती 2025: पीताम्बरा देवी की पूजा से मिलेगी शत्रुओं पर विजय

बगलामुखी जयंती 2025 में देवी पीताम्बरा की कृपा कैसे पाएं? जानें पूजा विधि, महत्व, व्रत कथा, आरती और मंत्र — इस संपूर्ण लेख में।

बगलामुखी जयंती 2025: पीताम्बरा देवी की पूजा से मिलेगी शत्रुओं पर विजय

 

 बगलामुखी जयंती 2025: स्तम्भन शक्ति की देवी की आराधना का पावन पर्व

सनातन धर्म में दस महाविद्याओं का विशेष महत्व है। इन दसों रूपों में मां बगलामुखी का स्वरूप स्तम्भन और विजय का प्रतीक है। बगलामुखी देवी की जयंती विशेष रूप से वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। 2025 में यह पावन पर्व 7 मई 2025 (बुधवार) को पड़ रहा है। इस दिन मां बगलामुखी की विशेष पूजा, हवन, यज्ञ और साधना की जाती है।

यह दिन शक्ति साधकों, तांत्रिकों और देवी उपासकों के लिए अत्यंत फलदायी माना जाता है। इस लेख में हम जानेंगे बगलामुखी जयंती का महत्व, कथा, पूजा-विधि, मंत्र, और आरती सहित संपूर्ण जानकारी।


कौन हैं मां बगलामुखी?

बगलामुखी देवी को 'पीताम्बरा', 'स्तम्भन शक्ति की देवी' और 'वाणी एवं शत्रु नाश की देवी' के रूप में जाना जाता है। उनका रूप अत्यंत तेजस्वी होता है — पीले वस्त्र, पीले फूल और पीले प्रसाद से उन्हें अत्यंत प्रियता है। उनके दाहिने हाथ में गदा और बाएं हाथ से वे शत्रु की जीभ पकड़कर उसे वश में करती हैं।

देवी बगलामुखी की आराधना से:

  • शत्रुओं पर विजय मिलती है।
  • कोर्ट-कचहरी, वाद-विवाद में सफलता मिलती है।
  • वाणी में ओज और प्रभाव आता है।
  • बुरी शक्तियों का नाश होता है।

बगलामुखी जयंती का महत्व

बगलामुखी जयंती को साधना, तंत्र और शक्ति उपासना के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। यह तिथि ऐसी होती है जब प्रकृति की ऊर्जाएं अत्यंत सक्रिय होती हैं। माना जाता है कि इसी दिन देवी ने सृष्टि के संतुलन के लिए स्तम्भन शक्ति का प्राकट्य किया था।

  • तंत्र साधना में यह दिन अत्यंत महत्वपूर्ण है।
  • मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक रूप से बगलामुखी साधक को संबल मिलता है।
  • वाणी दोष, कोर्ट केस, शत्रु बाधा से मुक्ति मिलती है।

बगलामुखी जयंती 2025 तिथि और शुभ मुहूर्त

तिथि: बुधवार, 7 मई 2025
जयंती तिथि: वैशाख शुक्ल अष्टमी
पूजा मुहूर्त: सुबह 10:42 से दोपहर 1:18 तक (स्थानीय पंचांग अनुसार)


पूजा विधि (Baglamukhi Jayanti Puja Vidhi)

1.    स्नान एवं संकल्प:

o   प्रातः स्नान करें और पीले वस्त्र धारण करें।

o   व्रत का संकल्प लें।

2.    मूर्ति स्थापना:

o   देवी बगलामुखी की प्रतिमा या चित्र को पीले कपड़े पर स्थापित करें।

3.    पीला श्रृंगार:

o   पीले पुष्प, चना दाल, हल्दी, और पीले मिष्ठान्न से पूजन करें।

4.    मंत्र जाप:

o   ॐ ह्लीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिव्हां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्लीं ॐ स्वाहा॥” मंत्र का 108 या 1008 बार जाप करें।

5.    हवन:

o   घी, हल्दी, जौ, और चने से हवन करें।

6.    आरती एवं प्रसाद वितरण:

o   देवी की आरती करें और प्रसाद में पीला भोग (चना, बेसन के लड्डू आदि) बांटें।


बगलामुखी जयंती व्रत कथा (सारांश)

पुराणों में वर्णित है कि त्रेता युग में जब एक बार पृथ्वी पर अराजकता और प्रलय जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई, तब भगवान विष्णु ने देवी शक्ति से सहायता मांगी। तब देवी ने बगलामुखी रूप में प्रकट होकर तांडव कर रही शक्तियों को स्तम्भित किया और ब्रह्मांड की गति को संतुलित किया। तभी से देवी बगलामुखी को "स्तम्भन शक्ति" कहा गया।


बगलामुखी आरती

जय बगलामुखी माता, जय जय पीताम्बरा।

दुष्ट नाशिनी दयामयी, शुभफलदाता अम्बा॥

 

पीत वस्त्र तन शोभित, गल में माला प्यारी।

सिंहवाहिनी देवी, शुभ वर देनहारी॥

 

हाथ में मुद्गर सुशोभित, दुष्ट जीभ पकड़ें।

भक्तों का दुख हरने, शक्ति रूपिणि अर्पे॥

 

त्रिलोचन सुन्दरी माता, ब्रह्माणी नारायणी।

त्रिभुवन पूजित नमन करें, सुर मुनिजन वाणी॥

 

चहुँओर तुम्हारी महिमा, भक्त करे गुणगान।

शत्रु दलन में सक्षम, तुम मातः बलवान॥

 

तुम बिन कौन करे रक्षा, संकट में जीवन की।

हे मां बगलामुखी कृपा करो, रक्षा करो तन की॥

 

आरती मात की जो कोई जन गावे।

मनवांछित फल पावे, भवसागर तर जावे॥

 

जय बगलामुखी माता, जय जय पीताम्बरा।

दुष्ट नाशिनी दयामयी, शुभफलदाता अम्बा॥


साधना से जुड़ी सावधानियां

  • साधना स्थान स्वच्छ और एकांत हो।
  • पीले रंग का अधिकतम उपयोग करें।
  • किसी को अपशब्द या हानि की भावना से मंत्र का प्रयोग न करें।
  • बगलामुखी मंत्र तंत्रयुक्त होता है, इसलिए गुरु मार्गदर्शन में जाप करना उत्तम है।

बगलामुखी मंत्र के लाभ

1.    शत्रु बाधा निवारण

2.    कोर्ट केस में विजय

3.    बुरी नजर से बचाव

4.    मन की स्थिरता और वाणी में प्रभाव

5.    तंत्र-मंत्र और जादू-टोना से सुरक्षा


क्या करें – क्या न करें

 करें:

  • पीले वस्त्र, पीले फूल, पीले प्रसाद का उपयोग करें।
  • श्रद्धा और मनोयोग से पूजा करें।
  • वाणी में संयम रखें।

न करें:

  • किसी को नुकसान पहुंचाने की भावना से साधना न करें।
  • पूजा में अशुद्धता न रखें।
  • जल्दबाजी या अधूरी साधना न करें।

बगलामुखी जयंती केवल एक पर्व नहीं बल्कि शक्ति उपासना का विशेष अवसर है। यह दिन साधकों को आत्मबल, विवेक और शत्रु पर विजय प्रदान करने की ऊर्जा देता है। यदि आप किसी संकट, वाद-विवाद, कोर्ट केस या मानसिक अस्थिरता से जूझ रहे हैं, तो मां बगलामुखी की साधना से अवश्य लाभ मिलेगा।


 Disclaimer (अस्वीकरण):

यह लेख धार्मिक और जनसामान्य जानकारी के उद्देश्य से प्रस्तुत किया गया है। मंत्र-जाप या तांत्रिक साधनाओं से पूर्व किसी योग्य गुरु या जानकार ब्राह्मण से परामर्श अवश्य करें। लेखक किसी भी दुरुपयोग या नुकसान का उत्तरदायी नहीं होगा।