अवैध बोरवेल के जरिए पानी निकालना किसी पाप से कम नहीं' – हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी
दिल्ली हाईकोर्ट ने अवैध बोरवेल को लेकर सख्त टिप्पणी की – "पानी निकालना किसी पाप से कम नहीं।" कोर्ट ने पर्यावरण संरक्षण और भूजल संकट पर जताई चिंता।

'अवैध बोरवेल के जरिए पानी निकालना किसी पाप से कम नहीं', हाईकोर्ट ने बताई वजह
दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में अवैध बोरवेल से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए सख्त टिप्पणी की है। अदालत ने कहा कि "अवैध बोरवेल के जरिए पानी निकालना किसी पाप से कम नहीं", क्योंकि यह न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के जल संसाधनों को भी खत्म कर रहा है।
क्या है मामला?
यह मामला दिल्ली और आस-पास के क्षेत्रों में अवैध रूप से लगाए गए बोरवेल से जुड़ा था, जहां भूजल का दोहन बिना किसी अनुमति और निगरानी के किया जा रहा था। हाईकोर्ट ने इस पर सख्त नाराजगी जताई और संबंधित अधिकारियों से रिपोर्ट तलब की।
हाईकोर्ट की टिप्पणी
अदालत ने कहा:
"हम आंखें मूंद कर नहीं बैठ सकते। अवैध बोरवेल के जरिए पानी निकालना भविष्य के साथ धोखा है। यह किसी पाप से कम नहीं है।"
हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि भूजल का अंधाधुंध दोहन न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि समाज के गरीब वर्ग के लिए पानी की उपलब्धता भी खतरे में डालता है।
कोर्ट ने उठाए सवाल
- कितने बोरवेल बिना अनुमति चल रहे हैं?
- जिला प्रशासन और नगर निकाय क्या कर रहे हैं?
- क्यों नहीं की गई अब तक सख्त कार्रवाई?
क्या है कानून?
भारत में भूजल निष्कर्षण के लिए संबंधित प्राधिकरण से अनुमति लेना आवश्यक होता है। इसके बावजूद, कई स्थानों पर बिना अनुमति के बोरवेल खोद दिए जाते हैं। इससे भूजल स्तर में गिरावट आती है और कई बार हादसे भी हो जाते हैं।
पर्यावरणीय खतरा
- भूजल स्तर का तेजी से गिरना
- पेयजल संकट
- भविष्य में सूखे की स्थिति
- जलीय पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान
अदालत की सिफारिश
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन को निर्देश दिए कि:
- सभी अवैध बोरवेल की पहचान करें
- तुरंत सील करने की प्रक्रिया शुरू करें
- जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए
- जनता को जागरूक किया जाए कि यह अपराध है
निष्कर्ष
इस फैसले से एक साफ संदेश गया है कि जल संरक्षण केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हर नागरिक का कर्तव्य है। अवैध बोरवेल सिर्फ कानून का उल्लंघन नहीं, बल्कि प्रकृति के साथ अन्याय है।
हमें जल बचाने की पहल खुद से करनी होगी।