श्री विष्णु जी की आरती: जय जगदीश हरे के साथ दिव्य भक्ति

श्री विष्णु जी की आरती "जय जगदीश हरे" एक लोकप्रिय भक्ति गीत है जो भगवान विष्णु की स्तुति और आशीर्वाद प्राप्ति के लिए गाई जाती है। इस ब्लॉग में आप आरती का पाठ, अर्थ, विधि और लाभ जान सकते हैं।

श्री विष्णु जी की आरती: जय जगदीश हरे के साथ दिव्य भक्ति

 

 श्री विष्णु जी की आरती: पालनकर्ता की दिव्य स्तुति

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।
भगवान विष्णु, त्रिदेवों में से एक, सृष्टि के पालनकर्ता माने जाते हैं। वे धर्म, मर्यादा और करुणा के प्रतीक हैं। उनकी आरती श्रद्धा से गाने से जीवन में शांति, समृद्धि और संतुलन आता है।


 श्री विष्णु जी की आरती

ॐ जय जगदीश हरे,
स्वामी जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट,
दास जनों के संकट,
क्षण में दूर करे॥ ॐ जय…॥

जो ध्यावे फल पावे,
दुख विनसे मन का।
स्वामी दुख विनसे मन का,
सुख संपत्ति घर आवे॥ ॐ जय…॥

मात-पिता तुम मेरे,
शरण गहूं मैं किसकी।
स्वामी शरण गहूं मैं किसकी,
तुम बिन और न दूजा॥ ॐ जय…॥

तुम पूरण परमात्मा,
तुम अन्तर्यामी।
स्वामी तुम अन्तर्यामी,
पारब्रह्म परमेश्वर॥ ॐ जय…॥

तन, मन, धन सब कुछ है तेरा,
स्वामी सब कुछ है तेरा।
तेरा तुझको अर्पण,
क्या लागे मेरा॥ ॐ जय…॥


विष्णु जी की आरती के लाभ

1.    मन की शांति और स्थिरता मिलती है।

2.    घर-परिवार में सुख, समृद्धि और धन की वृद्धि होती है।

3.    धार्मिक एवं आध्यात्मिक बल प्राप्त होता है।

4.    रोग, भय और दोषों से रक्षा मिलती है।

5.    सकारात्मक ऊर्जा और भक्ति का भाव जागृत होता है।


 आरती करने की विधि

  • भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र के सामने दीपक और अगरबत्ती जलाएँ।
  • पीले फूल और तुलसी पत्र अर्पित करें।
  • आरती श्रद्धा और भाव से गाएँ।
  • आरती के बाद भगवान को नैवेद्य अर्पित करें और प्रसाद वितरण करें।

विष्णु जी की आरती न केवल एक भक्ति गीत है, बल्कि यह हमें भगवान की कृपा से जुड़ने का एक दिव्य माध्यम है। जीवन में जब भी मानसिक अशांति या बाधाएँ आएँ, तो यह आरती संजीवनी का काम करती है।